नई दिल्ली। देश में इंजीनियरिंग की पढ़ाई अब 5 भारतीय भाषाओं में भी होगी, गुरुवार को नई शिक्षा नीति को लागू हुए एक साल पूरा होने के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने यह जानकारी दी है। प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि देश के 8 राज्यों में 11 इंजीनियरिंग कॉलेज अब इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी, तमिल, तेलगू, मराठी और बंगाली में शुरू करने जा रहे हैं।
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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “शिक्षा के विषय में पूज्य बाबू महात्मा गांधी कहा करते थे कि राष्ट्रीय शिक्षा को सच्चे अर्थों में राष्ट्रीय होने के लिए राष्ट्रीय परिस्थितियों को रिफ्लेक्ट करना चाहिए। बाबू के इसी दूरदर्शी विचार को पूरा करने के लिए स्थानीय भाषाओं में शिक्षा का विचार नई शिक्षा नीति में रखा गया है।”
नई शिक्षा नीति पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने बताया, “अब उच्च शिक्षा में स्थानीय भाषा मीडियम ऑफ इंस्ट्रक्शन का विकल्प हो गया है, 8 राज्यों के 14 इंजीनियरिंग कॉलेज 5 भारतीय भाषाओं यानि इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू करने जा रहे हैं। इंजीनियरिंग के कोर्स का 11 भारतीय भाषाओं में ट्रांस्लेशन के लिए टूल भी तैयार किया जा चुका है। क्षेत्रीय भाषा में अपनी पढ़ाई शुरू करने जा रहे छात्र छात्राओं को मैं विशेष बधाई देना चाहता हूं, इसका सबसे बड़ा लाभ देश के गरीब वर्ग को, गांव और कस्बों में रहने वाले मध्यम वर्ग के छात्रों को होगा। इन्हीं परिवारों से आने वाले बच्चों को सबसे ज्यादा लेंग्वेज डिवाईड का सामना करना पड़ता था, सबसे ज्यादा नुकसान इन्हीं परिवार के होनहार बच्चों को उठाना पड़ता था।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि “मातृ भाषा में पढ़ाई से गरीब बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और उनके सामर्थ्य और प्रतिभा के साथ न्याय होगा। प्रारंभिक शिक्षा में भी मातृ भाषा को प्रोत्साहित करने का काम शुरू हो चुका है। जो विद्या प्रवेश प्रोग्राम आज लॉन्च किया गया, उसकी भी इसमें बहुत बड़ी भूमिका है। प्ले स्कूल का कॉन्सेप्ट अभी तक बड़े शहरों तक ही सीमित है वह विद्या प्रवेश के जरिए दूर दराज के स्कूलों तक जाएगा। यह कार्यक्रम आने वाले समय में युनिवर्सल प्रोग्राम के तौर पर लागू होगा और राज्य भी अपनी अपनी जरूरत के हिसाब से इसे लागू करेंगे, यानि देश के किसी भी हिस्से में बच्चा अमीर का हो या गरीब का, उसकी पढ़ाई खेलते और हसते हुए ही होगी और आसानी से होगी।”
प्रदानमंत्री मोदी ने यह भी बताया कि अब देश में सांकेतिक भाषा को भी सब्जेक्ट का दर्जा दिया गया है, उन्होंने कहा, “देश में 3 लाख से ज्यादा बच्चे ऐसे हैं जिनको शिक्षा के लिए सांकेतिक भाषा की आवश्यकता पड़ती है, इसे समझते हुए भारतीय संकेतिक लेंग्वेज को एक सब्जेक्ट का दर्जा दिया गया है, अब छात्र इसे एक भाषा के तौर पर भी पढ़ पाएंगे। इससे इस भाषा को बढ़ावा मिलेगा और दिव्यांग छात्रों को भी सहायता मिलेगी।”
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