प्रतिभाएं कहीं पर भी जन्म ले सकती हैं और गरीबी में भी पल सकती है। वह संपन्नता की मोहताज नहीं होती। छत्तीसगढ़ी में एक कहावत है ”घुरुवा के दिन घलो बहुरथे”। यह एक सच्चाई है। आज आपके सामने दो ऐसे बच्चों की प्रतिभाओं को सामने ला रहे हैं, जो प्रदेश के गरीब परिवारों से ताल्लुक रखते हैं, संपन्नता से उनका दूर—दूर तक कोई रिश्ता नहीं है। लेकिन फिर भी वे प्रतिभा के धनी हैं।
इन दोनों बच्चों में से एक बच्चा सहदेव दिरदो, छत्तीसगढ़ के सुकमा का निवासी है। आज उसका गाया हुआ गाना ‘बचपन का प्यार तु भूल नही जाना रे’ यू—ट्यूब पर धूम मचा रहा है, तो वह नेशनल सूर्खियों में शामिल हो गया है। उसकी इस प्रतिभा के चलते ही प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी उससे मिले बिना नहीं रह पाए।
दूसरी तरफ धमतरी जिले का बच्चा है, जिसका नाम किशन साहू है। मोहल्ला क्लास के दौरान उसने अपनी प्रतिभा से लोगों को परिचित कराया। खुद उसने गीत बनाया और उसकी लय भी उसने खुद ही तैयार की है। कोरोना वायरस को लेकर उसने छत्तीसगढ़ी में गीत की रचना कर उसे गाकर हर किसी को चौंका दिया है।
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इन दोनों ही बच्चों को संगीत की कोई शिक्षा नहीं मिली है। केवल अपनी काबिलियत के दम पर ये बच्चे आज चर्चा का विषय बन गए हैं। इन्हें यदि सही मायने में सिखाया जाए, तो दो राय नहीं कि ये अपनी प्रतिभा का दर्शन आने वाले वक्त में और बेहतर तरीके से करा सकते हैं।