छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले में 10 सालों का लंबा इंतजार बारिश में उखड़ गया। बसंतपुर से पेंड्रा के बीच बनाई गई 8 किमी की सड़क एक महीना भी नहीं टिक सकी। मरवाही उपचुनाव से ठीक पहले इस सड़क को सरकार ने तोहफे के रूप में लोगों को दिया था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद 14.5 करोड़ की लागत से बनी सड़क का भूमिपूजन और शिलान्यास किया था। अब लोक निर्माण विभाग (PWD) का निर्माण एक बार फिर सवालों में है।
सड़क पर 5 साल की गारंटी
सड़क जब बनी तो उसके परफॉर्मेंस पर 5 साल की गारंटी दी गई, लेकिन पहले मानसून ने ही इसकी रंगत बिगाड़ दी। सड़क जगह-जगह से उखड़ गई। जून में बारिश शुरू होने से पहले 8 किमी की इस सड़क में महज 4 किमी ही डामरीकरण का कार्य पूरा किया गया था। PWD ने इसका ठेका अनिल बिल्डकॉन को दिया था। उसने ही काम पूरा कराया। अब लोगों का गुस्सा ठेकेदार पर भी भड़कने लगा है। टूटी सड़कों पर आए दिन हादसे हो रहे हैं।
जांच टीम ने बिता दिए 12 दिन
जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री और अधिवक्ता पुष्पराज सिंह की शिकायत पर सड़क की जांच के लिए दोबारा बिलासपुर मंडल के अधीक्षण अभियंता ने 15 जुलाई को 3 सदस्यीय जांच कमेटी गठित की है, जिसे 7 दिन में जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करना था। 12 दिन बाद भी जांच शुरू नहीं हो सकी है। इस वजह से लोगों को जांच टीम पर भी भरोसा नहीं है। अब कितने और दिन ऐसे ही बिताएंगे, इसे लेकर लोगों का गुस्सा दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है।
कलेक्टर ने दिया जांच आदेश
सड़क निर्माण के दौरान स्थानीय लोगों ने प्रशासन से ठेकेदार की शिकायत की थी। लोगों का कहना था कि ठेकेदार मौरंग की जगह मिट्टी डाल रहा है। शिकायत थी कि ठेकेदार की ओर से कंपेक्शन भी मानक स्तर का नहीं दिया गया। लिहाजा सड़क जगह-जगह बैठ रही है। इसके साथ ही डामरीकरण के दौरान भी मानकों का ध्यान नहीं रखा गया। शिकायत के बाद कलेक्टर नम्रता गांधी ने सड़क की गुणवत्ता के जांच के आदेश दिए थे।