रायपुर। समर्थन मूल्य पर धान ख़रीदी के बाद संग्रहण केंद्रों में धान के स्टॉक 21 लाख मीट्रिक टन धान के अब तक उठाव ना होने और प्रासंगिक व्यय कम दिए जाने को लेकर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया।
प्रश्नकाल में भाजपा के शिवरतन शर्मा ने संग्रहण केंद्र में शेष धान को और नुक़सान को लेकर प्रश्न किया था, इसी में यह प्रश्न भी समाहित था कि,धान उपार्जन हेतु शासन द्वारा उपार्जन केंद्र को किस किस मद पर कितनी कितनी राशि प्रदान की जाती है।
इस पर राज्य सरकार के लिखित जवाब में यह उत्तर आया कि 21 लाख मीट्रिक टन धान संग्रहण केंद्रों में है। नियम से 72 घंटे के भीतर उठाव होना चाहिए जो नहीं हो पाया है। मंत्री प्रेमसाय सिंह ने सदन में कहा — ”72 घंटा में उठाव होना चाहिए,नहीं हुआ लेकिन कोई दोषी नहीं है..”
इस पर भाजपा की ओर से सवाल हुआ — ”सात महीने से उपर का समय हो गया.. धान जो नुक़सान हुआ.. उसका ज़िम्मेदार कौन है.. मंत्री अमरजीत कह चुके है सूखत नहीं लेंगे.. अब धान उपार्जन केंद्र में ही रखा है तो सूखत होगा तो दोषी कौन होगा.. क्योंकि नुक़सान तो ऐसे में धान उपार्जन केंद्र वाली समितियों का होगा.. जवाबदेही कैसे तय नहीं होगी?”
सवालों के बौछार पर मंत्री की ओर से स्पष्ट जवाब का अभाव देखते हुए विपक्षी दल भाजपा ने सदन के भीतर जोरदार हंगामा करना शुरू कर दिया। स्पीकर मना करते रहे, लेकिन हंगामे का दौर समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रहा था।