नई दिल्ली, एजेंसियां। भारत और चीन के बीच 12वें दौर की कोर कमांडर स्तर की शनिवार को शाम 7.30 बजे संपन्न हो गई। नौ घंटे तक चली इस बैठक में दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख सेक्टर में चल रहे सैन्य गतिरोध को हल करने के मुद्दों पर चर्चा की। इस बातचीत का मकसद भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख के गतिरोध वाले बिंदुओं से सैनिकों की वापसी की दिशा में आगे बढ़ना था। रक्षा सूत्रों ने बताया कि इस वार्ता का मकसद 14 महीनों से ज्यादा समय से इस क्षेत्र में जारी गतिरोध को खत्म करना है।
12th round of Corps Commander level talks between India and China concluded at 7.30 PM in Oldi on Chinese side of Line of Actual Control. In the nine hour-long meeting, both sides discussed issues to resolve ongoing military standoff along the Eastern Ladakh sector: Army sources
— ANI (@ANI) July 31, 2021
एलएसी के उस पार चीन की तरफ मोल्डो में यह वार्ता पिछली बैठक के करीब तीन महीने बाद हुई। यह पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन की तरफ मोल्डो सीमा बिंदु पर सुबह साढ़े 10 बजे शुरू हुई। अभी इस बातचीत को लेकर सेना की ओर से आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है। सूत्रों ने बताया कि हॉट स्प्रिंग और गोगरा से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पर सकारात्मक नतीजे की उम्मीद है। पहले 11वें दौर की सैन्य वार्ता नौ अप्रैल को एलएसी पर चुशुल सीमा बिंदु पर हुई थी। यह बातचीत करीब 13 घंटे तक चली थी।
इसमें भारतीय पक्ष का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन और विदेश मंत्रालय में अपर सचिव (पूर्व एशिया) नवीन श्रीवास्तव ने किया। चीनी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की पश्चिमी थियेटर कमांड के कमांडर शू किलिंग ने किया। शू किलिंग को इसी महीने की शुरुआत में नियुक्त किया गया है।
भारत पहले ही साफ कर चुका है कि जब तक चीन की सेना मई 2020 से पहले वाली स्थिति में वापस नहीं होती है तब तक सीमा पर अमन-शांति की बहाली संभव नहीं है। दो हफ्ते पहले ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी से दृढ़ता के साथ कहा था कि एलएसी पर यथास्थिति में कोई भी एक पक्षीय बदलाव भारत को स्वीकार्य नहीं है। जहां तक द्विपक्षीय रिश्तों का सवाल है पूर्वी लद्दाख में पूरी तरह से शांति और स्थिरता बहाल होने के बाद ही संबंधों का विकास हो सकता है।