रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने शास्त्री चौक, रायपुर स्थित आयोग कार्यालय में महिलाओं से सम्बंधित प्रकरणों पर आज जनसुनवाई आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने नवनियुक्त सदस्यगण शशिकांता राठौर, नीता विश्वकर्मा, अर्चना उपाध्याय के साथ की।
आज हुई सुनवाई के एक प्रकरण में उपस्थित अनावेदक गणों ने बताया कि थाना पटेवा, जिला महासमुंद में अनावेदिका महिला ने आवेदिका महिला के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया है जबकि आवेदिका ने एफआईआर दर्ज होने के बाद आयोग में आवेदन प्रस्तुत किया इसी तरह एक अन्य प्रकरण मे एफआईआर दर्ज होने की सूचना आयोग को दिया गया जिसमें आवेदिका और उसके पति के खिलाफ धारा 294, 306 का अपराध दर्ज किया गया है। उसके बाद आवेदिका ने आयोग के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया है। महिला आयोग के अधिकार क्षेत्र से बाहर होने के कारण प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया । साथ ही आवेदिका ने निवेदन किया कि इन अनावेदकगणों के खिलाफ उनकी ओर से किसी भी प्रकार से एफआईआर दर्ज नही किया जा रहा है और किसी भी प्रकार से सुनवाई नही हो पा रही है। आयोग द्वारा समझाइश दिया गया कि भविष्य में इन अनावेदकगणों के द्वारा यदि कोई आपराधिक कृत्य किया जाता है और थाना में आवेदन करने पर भी एफ आई आर दर्ज नही करते हैं,तब ऐसी दशा में आयोग के समक्ष थाना प्रभारी और अनावेदकगणों को पक्षकार बनाते हुए आयोग के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर सकते है।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका और एक अनावेदक उपस्थित शेष अनावेदक की उपस्थिति के लिए थाना प्रभारी, खरोरा को अलग से सूचना भेजने के निर्देश दिए गए। पुलिस अनावेदक की तफ्तीश कर जैसे ही मिले उसे आयोग के समक्ष उपस्थित करने निर्देशित किया गया है,ताकि आवेदिका और उसके पति को नौ लाख रुपये की प्रक्रिया का समाधान किया जा सके। थाना प्रभारी खरोरा को 15 दिवस के भीतर अपना रिपोर्ट भेजने कहा गया। एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अनावेदक द्वारा घर से बेघर किये जाने की बात कही है।वह पिछले कई दिनों से भटक रही है और उनके स्वयं के मकान में ताला लगा है। इस पर अनावेदक ने बताया कि उसने मकान का ताला बंद करके चाबी दे दिया है और किसी भी तरह से कब्जा नही किया है।अनावेदक को समझाइश दिया गया कि वह आवेदिका और उसके अन्य सन्तानो के आस पास पहुँचकर उन्हें परेशान न करे। आवेदिका पुलिस थाने में और आयोग के समक्ष भी शिकायत कर सकेगी। चूंकि अभी आवेदिका को मकान का कब्जा मिल जाने के बाद प्रकरण को निराकृत किया जाएगा। आवेदिका पहले अपने घर का कब्जा ताला तोड़कर ले। आयोग की इसकी सूचना देने कहा गया आगामी सुनवाई में थाने के माध्यम से आवश्यक रूप से उपस्थित कराने कहा गया जिससे ऐसी घटना पर कार्यवाही किया जा सके।
इसी तरह एक प्रकरण में अनावेदक ने बताया कि बी.ई.एम.बी.ए. तक शिक्षित है और कोरबा में सीएसईबी में बाबू के पद पर कार्यरत हैं। उसका मासिक वेतन 30,000 रुपये है। साथ ही उन्होंने बताया कि उसके और पत्नी का मामला न्यायालय में लंबित है। न्यायालय के आदेश से 6,500 भरण पोषण राशि देने का उल्लेख है। उच्चतम न्यायालय में भरण पोषण देने का स्टे लगा है कहकर अनावेदक ने जो कागज दिखाया उसमे स्थगन आदेश को कोई उल्लेख नही है, तथा कभी भी उच्चतम न्यायालय भरण पोषण राशि हेतु स्थगन आदेश नही देता है। इस स्तर पर अनावेदक से उच्चतम न्यायालय के आदेश की प्रति मांगी गयी जिसमे स्टे दिए जाने का कोई उल्लेख नही है इससे स्पष्ट है कि अनावेदक आवेदिका को भरण पोषण देने से बचने की कोशिश कर रहा है।आयोग के समक्ष भी झूठा वक्तव्य दे रहा है। इस कारण प्रकरण को निराकृत नही किया जाएगा। साथ आवेदिका अनावेदक के विरुद्ध थाने में जाकर एफआईआर दर्ज कर सकती है।एक अन्य प्रकरण में अनावेदक ने अपने आवेदिका पत्नी एवं बेटी को पहचानने से इंकार कर दिया। अनावेदक ने कहा कि यह तो ना मेरी पत्नी है और ना मेरी बेटी है।आवेदिका पत्नी ने बताया कि सन 1980 में मेरा विवाह अनावेदक से हुई थी। ग्रामीण परिवेश में विवाह हुआ है और 5 साल तक अपने ससुराल में रही है।इस प्रकरण अध्यक्ष डॉ नायक ने आगामी सुनवाई शिकायत के आधार पर जारी रखे जाने के पूर्व आवेदिका पुत्री और अनावेदक का डीएनए टेस्ट कर रिपार्ट प्रस्तुत करने कहा। इस स्तर पर डॉक्टरों से चर्चा उपरांत थाना प्रभारी सिविल लाइन के माध्यम से सुपरिटेंडेंट मेडिकल कॉलेज को डीएनए टेस्ट के लिए भेजा गया है। डीएनए टेस्ट लेते तक आवेदिकागण को सखी सेंटर में सुरक्षित रखा गया है, इस प्रकरण की समस्त जानकारी हेतु आयोग के समक्ष शासकीय कार्यावधि समय मे जानकारी को थाना प्रभारी एस आई के माध्यम से आयोग को अवगत कराने कहा गया।
एक अन्य प्रकरण में जिला जांजगीर से एस आई के माध्यम से अनावेदक को उपस्थित कराया गया। अनावेदक पिछले दिसम्बर माह की सुनवाई में उपस्थित हुआ था,तब भी दुधमुंही बच्ची को लेकर नही आया था और आज सुनवाई में भी बच्ची को लेकर उपस्थित नही हुआ और आज आयोग के समक्ष उपस्थित होकर उच्चतम न्यायालय में लगाये पिटीशन को कॉपी दिखाकर कहता है कि मामला कोर्ट में चल रहा है, साथ ही आयोग की अधिकारिता को मानने से इंकार कर रहा है चूंकि अनावेदक का रवैया बार बार बच्ची को लेकर ताला बंद कर घर के सदस्यों सहित फरार हो जाने का है आज भी उसकी नियत बच्ची को देने की नही है ऐसी स्तिथि में आवेदिका आयोग से सीधा सिविल लाइन थाना भेजा गया थाना सिविल लाइन ने अनावेदक के खिलाफ एफआईआर दर्ज भी कर लिया है।