नई दिल्ली । पेगासस जासूसी कांड को लेकर संसद में लगातार जारी गतिरोध के बीच विपक्ष ने माक (दिखावटी) संसद बुलाने के इरादे जाहिर कर इस घमासान को अब नए पायदान पर ले जाने का फैसला किया है। दोनों सदनों में अपनी बात रखने का मौका नहीं दिए जाने पर विपक्ष विरोध जताने के लिए माक संसद बुलाना चाहता है। इसके लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार सुबह नाश्ते पर संसद में सभी विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक बुलाई है। इस बैठक में ही विपक्ष संसद की समानांतर बैठक बुलाने की रणनीति पर अंतिम फैसला लेगा।
संसद के दोनों सदनों में लगातार नौंवे दिन हंगामा और शोरगुल जारी रख विपक्ष ने साफ कर दिया कि पेगासस मामले पर बहस की मांग वह नहीं छोड़ेगा। वहीं सरकार ने सोमवार को लोकसभा और राज्यसभा में हंगामे के बीच दो महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराकर स्पष्ट कर दिया कि वह अपने विधायी कामकाज को अंजाम देना जारी रखेगी। दोनों सदनों में हंगामे और अव्यवस्था के बावजूद सरकार की विधायी कामकाज निपटाने की रणनीति को देख विपक्ष माक संसद बुलाकर लड़ाई आगे बढ़ाने को जरूरी मान रहा है।
पेगासस कांड को लेकर संसद में विपक्षी दलों के बीच अभी तक तालमेल दिख रहा है। इसके मद्देनजर ही राहुल गांधी ने दोनों सदनों में विपक्षी खेमे के 17 दलों के नेताओं को नाश्ते पर चर्चा का न्योता दिया है। राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सीधे तौर पर माक संसद बुलाने को लेकर तो कुछ नहीं कहा मगर यह जरूर कहा कि कंस्टीट्यूशन क्लब में बुलाई गई राहुल की बैठक में विपक्षी दल अपनी रणनीति पर चर्चा करेंगे। विपक्षी नेताओं की इस बैठक के लिए तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है।
पेगासस पर सदन में विपक्षी दलों के साथ खड़ी टीएमसी अभी तक सीधे कांग्रेस की रहनुमाई में आने से परहेज करती दिखी है। इस लिहाज से राहुल की ब्रेकफास्ट बैठक में टीएमसी नेताओं की मौजूदगी रहती है या नहीं इस पर सबकी निगाह रहेगी। वैसे राज्यसभा में टीएमसी के नेता डेरेक ओब्रायन सोमवार सुबह संसद की बैठक से पूर्व विपक्षी नेताओं की मल्लिकार्जुन खड़गे की अगुआई में हुई बैठक में शामिल हुए। समझा जाता है कि इस बैठक में भी विपक्षी खेमे के नेताओं ने संसद भवन से बाहर माक संसद बुलाने को लेकर बातचीत की।
विपक्षी नेताओं का कहना है कि संसद में उनकी बात सुनी नहीं जा रही है। विपक्ष की आवाज दबाते हुए जबरन बिल पारित कराए जा रहे हैं। इस पर विरोध जताने के लिए बाध्य होकर माक संसद के विकल्प पर विचार किया जा रहा है। लोकसभा में भी विपक्ष के भारी शोर-गुल और नारेबाजी के बीच ही वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकार के आर्थिक सुधार से जुड़ा अहम साधारण बीमा कारोबार संशोधन विधेयक पेश ही नहीं किया बल्कि पारित भी करा लिया।
सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने हंगामे के बीच बिल पारित किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि चंद पूंजीपतियों की जेब भरने के लिए एलआइसी जैसे पुराने संस्थानों को बेचने के लिए सरकार आपाधापी में विधेयक पारित करा रही है। इसी तरह राज्यसभा में भी सरकार ने सोमवार को अंर्तदेशीय जल परिहवन विधेयक, हंगामे और नारेबाजी के बीच ही पारित कराया।