कहावत है हाथ कंगन को आरसी क्या पढ़े लिखे को फारसी क्या ? यानी यदि आपने हाथ में कंगन पहने हो तो फिर आईना देखने की जरुरत नहीं होती। लेकिन छत्तीसगढ़ में कुछ लोगों को हाथ में कंगन पहनने के बाद भी आईना देखने की जरुरत आन पड़ी है। मामला कवर्धा का है जहां पर कुछ दिनों पहले डीईओ ने स्कूलों का निरीक्षण किया था। स्कूलों का निरीक्षण करते वक्त वो लोहारा के रक्शे गांव में पहुंचे वहां पर प्राथमिक स्कूल के बच्चों से डीईओ साहब ने कुछ सवाल पूछे तो उन्हें कोई जवाब नहीं मिला।
जिस पर झल्लाए हुए साहब ने प्राथमिक स्कूल के प्रधान अध्यापक नेमदास झारिया समेत 4 शिक्षकों को नोटिस जारी किया। इसमें कहा गया कि आपकी ओर से बच्चों को पढ़ाने में लापरवाही की जा रही है। इससे स्पष्ट होता है कि कर्तव्य सही से नहीं निभाया जा रहा है। इसी में लिखा गया कि बच्ची ने पाठ पढ़ने में ‘असर्मथता’ जाहिर की। अब इसी गलत शब्द को लेकर टीचर्स ने डीईओ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
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DEO की तीन वार्षिक वृद्धि को रोक देना चाहिए
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DEO की तीन वार्षिक वृद्धि को रोक देना चाहिए
टीचरों ने DEO राकेश पांडेय के खिलाफ सोशल मीडिया पर अपना विरोध शुरू कर दिया है। चेतावनी पत्र की कॉपी पोस्ट करने के साथ लिखा गया है कि उनकी तीन वार्षिक वेतन वृद्धि को रोक देना चाहिए। एक जिम्मेदार अधिकारी के पद पर रहते हुए सही वाक्य नहीं पढ़ पाने और लिख पाने के कारण उन्हें हटा भी दिया जाना चाहिए। एक ने लिखा है कि ‘अंत्येष्टि’ सही नहीं लिखने पर डंका बजाने वाले सर्वगुण संपन्न व्यक्ति अब इसकी जिम्मेदारी लेंगे या लिपकीय त्रुटि बताकर उसका भी वेतन रोक देंगे।
कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में मोटी सैलरी पाने वाले शिक्षक और शिक्षा विभाग के दफ्तरों में एसी की हवा खा रहे अफसरों ने पढ़ाई व्यवस्था को लेकर किस तरह की जिम्मेदारी निभाई है वो साफ दिख रहा है। यहां पर ये बताने की कोशिश की जा रही है कि किसका गोबर कितना बदबूदार है। यानी डीईओ ने शिक्षकों पर कमी दिखाई तो शिक्षकों ने भी नोटिस में लिखे शब्दों का रॉकेट बनाकर उल्टा छोड़ दिया। अब इंतजार कर रहे हैं कि ये रॉकेट कहां जाएगा।
खैर इन सब के बीच किसी ने ये नहीं देखा कि सरकार शिक्षकों को बच्चों का भविष्य गढ़ने के लिए पैसा देती है, लेकिन सरकारी कुर्सी मिलते ही शिक्षक जिम्मेदार से कब गैर जिम्मेदार हो जाते हैं पता नहीं चलता।जिससे बच्चों का भविष्य गढ़ता तो नहीं अलबत्ता अंधकार में गढ़ जरुर जाता है। ऊपर से यदि शिक्षा विभाग के अफसर ही दूसरों को ही धुंधला आईना दिखाने की कोशिश करेंगे तो उन्हें ये पता होना चाहिए कि धुंधले आईने चेहरा साफ नहीं दिखता। इसलिए उस आईने को थोड़ा पानी डालकर साफ कपड़े से पोछे…और कम से कम ये ध्यान रखें कि आखिर शिक्षा व्यवस्था की ही ‘अंत्येष्टि’ ना हो जाए।