नई दिल्ली। भारतीय एथलेटिक्स संघ ने एक बड़ा ऐलान किया है और कहा है कि अगले साल से देश के हर जिले में 7 अगस्त को भाला फेंक प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। एथलेटिक्स में भारत को ओलिंपिक में पहला गोल्ड मेडल जिताने वाले भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा के सम्मान के रूप में ये फैसला किया गया है। टोक्यो ओलिंपिक में 7 अगस्त को ही नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा था।
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भारतीय एथलेटिक्स संघ ने नीरज चोपड़ा समेत उन सभी खिलाड़ियों का सम्मान किया, जिन्होंने टोक्यो ओलिंपिक में एथलेटिक्स में अच्छा प्रदर्शन किया। दिल्ली में आयोजित हुए एथलेटिक्स संघ के इस कार्यक्रम में चक्का फेंक एथली कमलप्रीत कौर, ललित भनोट, स्वर्ण पदक विजेता भारता फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा और पूर्व एथलीट अंजू बाबी जॉर्ज भी शामिल थीं। इसी दौरान हर साल होने वाली भाला फेंक प्रतियोगिता का ऐलान भी किया गया।
वहीं, ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा ने बताया, “नेशनल खेलने के बाद जब मुझे नेशनल कैंप में लिया गया तो उसका फायदा मुझे मिला, क्योंकि पहले हम खुद खाना बनाते थे और कैंप में सब कुछ बेहतर मिलने लगा। उसके बाद सब बदलता चला गया। अच्छी सुविधाएं मिलीं और उसके बाद सब बदल गया।”
टोक्यो ओलिंपिक में मिले गोल्ड मेडल के बारे में बात करते हुए नीरज चोपड़ा ने कहा, “जब मैंने गोल्ड जीता तो लगता था कि मैंने ये कैसे कर दिया। विश्वास नहीं होता था। फिर मैं अपना गोल्ड मेडल देखता था तो खुद से कहता था ये तो मेरे पास ही है।” उन्होंने आगे कहा, “अब हमारा लक्ष्य विश्व चैंपियनशिप का पदक जीतने का है, जो हमारे लिए एथलेटिक्स में अंजू बाबी जार्ज ने जीता है। एक पदक जीतने के बाद रुकना नहीं चाहिए। मैं अब और पदक जीतने की कोशिश करूंगा।”
90 मीटर भाला फेंकने का लक्ष्य लेकर टोक्यो गए नीरज चोपड़ा ने कहा, “मेरी 90 मीटर थ्रो फेंकने की तैयारी इस बार थी। जेवलिन थोड़ी टेक्निकल है। मैं इसके आसपास था। इस बार सोच रहा था कि कर दूंगा। 90 मीटर थ्रो फेंकना मेरा सपना है, जिसे मैं जरूर पूरा करूंगा।” जेवलिन थ्रो डे को लेकर उन्होंने कहा, “7 अगस्त को एथलेटिक्स फेडरेशन जेवलिन थ्रो डे मनाएगी। यह ऐतिहासिक है कि संघ ने मेरी उपलब्धि को याद करने के लिए ये तरीका अपनाया। मैं बेहद खुश हूं।”
टोक्यो में अपनी स्पर्धा में अपने आखिरी थ्रो को लेकर नीरज ने कहा, “शुरुआत में दो थ्रो बहुत अच्छे गए। फिर बीच में कई थ्रो खराब गए। आखिर वाले थ्रो से पहले मुझे पता था कि मैं स्वर्ण जीत चुका हूं। ऐसे मैं बहुत तल्लीन रहता था, लेकिन उस थ्रो से पहले मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था और बस मैंने थ्रो फेंक दिया, लेकिन वह थ्रो अच्छा गया।”
उन्होंने आगे कहा, “कोच हान के साथ जितना काम किया, उनका मैं आदर करता हूं। हालांकि, उनकी तकनीक से बेहतर मुझे कोच क्लाज की तकनीक लग रही थी, इसलिए मैंने क्लाज के साथ ट्रेनिंग करने का फैसला लिया। वह बहुत अनुभवी हैं, जिसका मुझे फायदा मिला।” वहीं, डोप टेस्ट को लेकर उन्होंने बताया, “डोप टेस्ट तो होता ही है। जब स्वीडन से टोक्यो गए तो लगातार सुबह तीन दिन जल्दी डोप टेस्ट लिया गया तो उससे थोड़ा परेशानी हुई। बाद में नींद लेकर मैं इसकी रिकवरी करता था।