FACT CHECK: लंदन ओलंपिक 2012 (London Olympics) में कम उम्र की एक लड़की भारत की तरफ से प्रतिनिधित्व करते हुए मशाल लेकर दौड़ी थी. वह तस्वीर आज भी लोगों के जेहन में है, लेकिन क्या आपको मालूम है कि नौ साल बाद टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में वह अब कहां है? हम बात कर रहे हैं पिंकी कर्माकर (Pinki Karmakar) की; जिसे लोगों ने एथलीट समझ लिया, जबकि वह उस वक्त यूनिसेफ स्पोर्ट्स फॉर डेवलपमेंट प्रोग्राम में जुड़ी हुई थी.
एथलीट नहीं यूनिसेफ से जुड़ी थी ये लड़की
बताते चले कि एएनआई न्यूज एजेसी ने पिंकी कर्माकर की कुछ तस्वीरों के साथ ट्विटर पर एक ट्वीट पोस्ट किया, जिसमें जानकारी दी गई थी कि मशाल लेकर भारत का प्रतिनिधित्व वाली पिंकी डिब्रूगढ़ में अब टी गार्डन में दिहाड़ी करने को मजबूर है. हालांकि, बाद में एएनआई ने इस ट्वीट को डिलीट करते हुए जानकारी दी कि तथ्य गलत थे, इस वजह से ट्वीट को डिलीट कर दिया गया.
10 कक्षा में ही तेज तर्रार थी पिंकी कर्माकर
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 17 साल की उम्र में वह 10वीं कक्षा में पढ़ रही थी, तब पिंकी अपने स्कूल में यूनिसेफ के स्पोर्ट्स फॉर डेवलपमेंट (एस4डी) कार्यक्रम चलाती थी और लगभग 40 महिलाओं को पढ़ाती थी. वह अक्सर अपने समुदाय में बाल विवाह, शराबबंदी जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाती थी. पिंकी ने बताया कि लंदन ओलंपिक में टॉर्च बियरर लेकर दौड़ना एक सपने जैसा था, लेकिन वर्तमान में मैं बोरबोरूआ चाय बागान में एक दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम कर रही हूं. अब मैं बीए कर रही हूं. मुझे सरकार या किसी अन्य से कोई भी सहायता नहीं मिला. इससे मैं बेहद दुखी हूं और परेशानी में हूं.
दिहाड़ी में मिलते हैं प्रतिदिन 167 रुपये
दो ओलंपिक बाद 26 वर्षीय पिंकी अब दिहाड़ी मजदूर में प्रति दिन 167 रुपये कमा रही है. अपनी मां की मृत्यु और पिता की अधिक उम्र होने की वजह से पिंकी को अपने परिवार की देखभाल करनी पड़ती है. उसका एक छोटा भाई और दो छोटी बहनें हैं. केंद्रीय मंत्री और असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, जो डिब्रूगढ़ के तत्कालीन सांसद थे, ने पिंकी के लौटने पर हवाई अड्डे पर उनका स्वागत किया था.