नई दिल्ली। कोरोना का खतरा अब भी बना हुआ है। देश के कुछ राज्यों में कोरोना के मामले अब भी चिंता का कारण बने हुए हैं। वहीं कई दूसरे देशों में भी एक बार फिर कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। कोरोना के डेल्टा वेरिएंट की वजह से मामले तेजी से बढ़े हैं ऐसे में भारत में भी इस बात पर विचार किया जा रहा है कि वैक्सीन की तीसरी डोज को मंजूरी दी जाए। बूस्टर डोज को लेकर पिछले दिनों चर्चा हुई है। नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन फॉर कोविड-19 (नेगवैक) बूस्टर डोज पर विचार कर रहा है। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बारे में बताया और कहा कि अंतिम निर्णय पर पहुंचने से पहले वैज्ञानिक साक्ष्यों का अध्य्यन किया जा रहा है। हालांकि कुछ देशों में बूस्टर डोज लगने भी शुरू हो गए हैं।
कई देशों में बूस्टर डोज लगना शुरू, यहां भी जल्द मिल सकती है मंजूरी
भारत में बूस्टर डोज की जरूरत को लेकर नेगवैक ने चर्चा की है। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने बताया है कि कोविड-19 टीकाकरण पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह ने टीके की बूस्टर खुराक देने पर विचार किया है और इस पूरे मामले को बहुत गंभीरता से देखा जा रहा है। पॉल ने कहा कि इस पर अधिक वैज्ञानिक साक्ष्यों का अध्ययन किया जा रहा है।
वहीं कई देशों ने अपने नागरिकों को बूस्टर डोज देना शुरू भी कर दिया है। इनमें वैसे लोगों को शामिल किया गया है जिनको गंभीर बीमारी है या जिन्हें टीका लगाए हुए छह महीने से अधिक का वक्त बीत चुका है। वहीं कुछ देश अगले कुछ दिनों में इसको लेकर अपनी योजना का खुलासा करने वाले हैं।
बूस्टर डोज पर क्या है WHO का कहना
बूस्टर डोज शरीर के अंदर तुरंत इम्यून सिस्टम को एक्टिव कर देती है। यह इम्यूनोलॉजिकल मेमोरी के आधार पर काम करती है। हालांकि, अभी तक WHO ने बूस्टर डोज को स्वीकृति नहीं दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सितंबर के अंत तक कोविड-19 टीकों की बूस्टर खुराक पर रोक लगाने की अपील की है।
गरीब और अमीर देशों के बीच टीकाकरण में विसंगति पर चिंता प्रकट करते हुए डब्लूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधोनम गेब्रेयेसस ने पिछले दिनों कहा कि अमीर देशों में प्रति 100 लोगों को अब तक टीके की करीब 100 खुराक दी जा चुकी है, जबकि टीके की आपूर्ति के अभाव में कम आय वाले देशों में प्रति 100 व्यक्तियों पर सिर्फ 1.5 खुराक दी जाा सकी हैं। टीकों का बड़ा हिस्सा अधिक आय वाले देशों में जाने देने की नीति को फौरन बदलने की जरूरत है। साथ ही कहा कि बूस्टर डोज पर कम से कम सितंबर के अंत तक रोक लगे ताकि कम से कम 10 प्रतिशत आबादी को टीका लग जाए। हालांकि कई देशों ने बूस्टर डोज लगाना शुरू कर दिया है।
साल के अंत तक भारत में पड़ेगी जरूरत
देश में टीकाकरण अभियान जोरों से चल रहा है और बड़ी संख्या में लोगों ने वैक्सीन लगवा ली है बावजूद इसके अभी कोरोना का खतरा कम नहीं हुआ है। एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि कोरोना के नए वैरियंट से निपटने के लिए इस साल के अंत तक बूस्टर डोज की जरूरत पड़ सकती है।
वैक्सीन को लेकर उठे सवाल
कोरोना के नए वेरिएंट पर वैक्सीन कितनी असरदार है साथ ही वैक्सीन से एंटीबॉडी कब तक मौजूद रहेगी इसको लेकर समय-समय पर सवाल खड़े होते रहे हैं। पिछले दिनों वैक्सीन पर द लैंसेट की एक रिपोर्ट पब्लिश हुई है जिसमें कहा गया कि फाइजर और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की डोज के बाद एंटीबॉडी छह सप्ताह बाद से कम होना शुरू होने लगती हैं