जब कभी लगता है कि बारिश थम गई है…फिर देखो बदरा घिर आते हैं…कभी गरजते है, कभी गड़गड़ाते हैं..और चुपचाप हवा से निकल जाते है। बारिश के मौसम में अक्सर ऐसा होता है। लेकिन एक समय के बाद बारिश का मौसम चला जाता है और फिर सुहानी धूप आती है। छत्तीसगढ़ में भी ऐसा ही कुछ दिखाई पड़ रहा है। बारिश के बादलों की ही तरह मंत्री टीएस सिंहदेव गाहे-बगाहे कभी सोशल मीडिया में तो कभी नेशनल टीवी पर प्रकट होते हैं, बयानों की बौछार करते हैं और फिर चले जाते हैं।इस बार टीएस सिंहदेव ने अपने दिल की बात को रखने के लिए हिंदी के महान कवि मैथिलीशरण गुप्त की कविताओं का सहारा लिया है। ये कविता तो मैथिलीशरण ने महाभारत के अभिमन्यु वध संस्करण पर लिखी थी। लेकिन कलयुग में इस कविता की लाइनों को महाभारत के रण में नहीं बल्कि सुशासन के पथ में चल रही सरकार के लिए इस्तेमाल किया गया। इससे पहले हम आगे बढ़े सबसे पहले देखिए टीएस सिंहदेव के उस ट्वीट को जिसके कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।
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”अधिकार खोकर बैठ रहना, यह महा दुष्कर्म है न्यायार्थ
अपने बंधुओं को भी दंड देना धर्म है
इस तथ्य पर ही कौरवों से पांडवों से रण हुआ,
जो भव्य भारतवर्ष के कल्पान्त का कारण हुआ”
टीएस सिंहदेव ने कविता में लिखी दिल की बात
मैथिलीशरण की कविता और मन की टीस
सिंहदेव जैसे काबिल और दूरदर्शी व्यक्ति को यदि आज सोशल मीडिया में इस तरह की पंक्तियां लिखनी पड़े तो इसे आप क्या कहेंगे। जिस पार्टी में वो है क्या उसमे कौरव हैं, या फिर उन्हें जो भी अधिकार दिए गए उसमे किसी की दखलांदाजी हैं। क्या उन्हें पार्टी में सम्मान नहीं मिलता। या फिर कोई और बात है। यदि इन लाइनों के अंतर्मन को टटोला जाए तो सिर्फ एक ही बात समझ में आती है मौजूदा परिवेश में टीएस सिंहदेव खुश नहीं है। वजह शायद सभी को पता है वो ढाई-ढाई साल का हवा-हवाई फॉर्मूला जो शायद धरातल पर कभी था ही नहीं। लेकिन आज सत्ता की लालसा इतनी प्रबल हो चुकी है कि अपने ही विरोधी नजर आने लगे हैं। जिसमे रण करने से भी नहीं चूकने की बात की जा रही है।अपने ही बंधुओं को दंड देने से भी गुरेज नहीं है। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है। कहीं ना कहीं ये सरकार के लिए अब सोचने का विषय है। क्योंकि सिंहदेव के तेवर जिस तरीके से दिन-ब-दिन बदल रहे हैं उसे देखकर आने वाला समय कांग्रेस पार्टी के लिए शुभ संकेत लेकर नहीं आएगा। क्योंकि एक तरफ पार्टी को विपक्ष से लड़ना होगा तो दूसरी तरफ अपनी ही पार्टी से नाराज चल रहे नेता को साधना होगा। यदि चुनाव तक बात नहीं बनी तो कांग्रेस के लिए बड़ी परेशानियां खड़ी हो सकती हैं।क्योंकि वो कहते हैं ना मदमस्त हाथी को पूरे झुंड के लिए किसी बड़े खतरे से कम नहीं, वो रास्ते में आने वाली अच्छी-बुरी हर चीज को सिर्फ कुचलेगा।