छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने बड़ा दावा करते हुये अपने समर्थकों से कहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 17 तारीख को इस्तीफा देंगे। बाबा लगातार समर्थकों को लामबंद करने के लिए मुख्यमंत्री बदलने का संदेश दे रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने दोबारा दिल्ली कूच करने से पहले अपने नजदीकी लोगों से कहा कि मुख्यमंत्री 17 को इस्तीफा दे देंगे। इस बीच मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री दोनो 16 तारीख को दिल्ली में रहेंगे। कांग्रेस की राजनीति को समझने वाले जानकार बाबा के दावे को अतिरंजित बता रहे हैं। काँग्रेस की रणनीतिक टीम में शामिल एक नेता ने बाबा के इस दावे पर कहा कि बाबा टीएस सिंहदेव छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री है या कंफ्यूजन मंत्री। दिल्ली में दस दिन टिके रहे हाईकमान ने मुलाकात का समय तक नही दिया। एक विधायक साथ नही आया। लेकिन अपनो को रोज दिलासा देते रहे। अब नया शिगूफा छोड़कर दिल्ली लौट रहे हैं। ये भ्रम से ज्यादा अस्थिरता फैलाने की कोशिश है। इसपर रोक लगनी चाहिए।
छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल सचिन तेंदुलकर की तरह सिर झुकाकर लंबी पारी खेलने के मूड में हैं। उनकी निगाह केवल बड़े स्कोर पर है। फील्ड पर कितना भी उल्टा पुल्टा बोलकर खिझाने उकसाने (टीजिंग) की कोशिश हुई हो बघेल ने संयम नही खोया है और प्रतिबद्ध खिलाड़ी की तरह लक्ष्य पर निगाह जमाये हुए हैं। मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर चार नए जिलों का गठन का एलान किया। न्याय योजना को विस्तार दिया जा रहा है। आलाकमान का संकेत समझकर मुख्यमंत्री प्रदेश में एक बड़ी लकीर खींचने का प्रयास कर रहे हैं।
आला नेतृत्व ने साफ संकेत दिया है कि छत्तीसगढ़ में कोई नेतृत्व परिवर्तन नही होगा। कोई गलत संदेश न जाये इस मकसद से आलाकमान ने टीएस सिंहदेव को दिल्ली प्रवास के दौरान मुलाकात का वक्त तक नही दिया। इतना ही नही उन्हें अनावश्यक बयानबाजी से बचने की नसीहत भी दी गई।
टीएस बाबा एआइसीसी के कई नेताओं के चक्कर काटकर अपनी ख्वाहिश जाहिर करते रहे। लेकिन राहुल गांधी से उनकी मुलाकात नही हो पाई। बाबा मजबूरी में 14 अगस्त को वापस रायपुर आये। एक दिन बाद फिर दबाव बनाने के मकसद से दिल्ली कूच कर गए हैं। दिल्ली आलाकमान से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बाबा हिट विकेट के मूड में हैं। कोविड के दौर में प्रदेश छोड़कर बार-बार दिल्ली मे आकर दबाव बनाना अच्छा संकेत नही है। आलाकमान को इस समय कोई वजह नेतृत्व परिवर्तन की नही नजर आ रही है। एक बड़े नेता ने कहा कि टीएस सिंहदेव देव वरिष्ठ नेता हैं। उनकी अपनी शिकायत हो सकती है। जिसे पार्टी फोरम पर सुलझाया जा सकता है। लेकिन पार्टी इस समय मुख्यमंत्री बदलने की स्थिति में नही है।
बघेल पिछड़े वर्ग से आते हैं। यूपी चुनाव के पहले उन्हें हटाना तो दूर पार्टी इस तरह की चर्चा से भी बचना चाहती है। क्योंकि किसी भी तरह की फेरबदल का सीधा फायदा भाजपा को मिलेगा। ठाकुर मुख्यमंत्री बनाकर पार्टी को चुनावी गणित में कोई फायदा नही होने वाला।
एक अन्य नेता ने कहा कि बघेल आलाकमान के वफादार नेताओ में शामिल हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ में अपनी ठोस जमीन भी बनाई है। उन्होंने केंद्र की मंशा के अनुरूप न्याय जैसी योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया है। उनकी विश्वसनीयता और सांगठनिक काबलियत के चलते ही उन्हें असम की जिम्मेदारी दी गई और पार्टी उन्हें उत्तरप्रदेश में भी पिछड़े वर्ग से जुड़े इलाकों में प्रभार देने के मूड में है। पिछले दिनों इस संबंध में उनकी आला नेताओ से मुलाकात भी हो चुकी है और जल्द ही एक और बैठक भी होने वाली है।
गौरतलब है विधायकों के समर्थन के मामले में भी सिंहदेव कमजोर पड़ रहे हैं। ज्यादातर विधायक बघेल के साथ हैं। हालांकि सिंहदेव खेमे की समर्थन जुटाने की कोशिश जारी है। दोबारा दिल्ली जाने से पहले सिंहदेव ने अपने समर्थकों को फिर दिलासा दिया है कि जल्द ही सीएम बदला जाएगा। लेकिन इसके पीछे का तर्क और वजह पार्टी के नेताओं को भी नही मालूम।
छत्तीसगढ़ में चल रही खींचतान पर पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि नेतृत्व को स्पष्ट करना चाहिए कि ढाई-ढाई साल का कोई फार्मूला नही है जैसा पुनिया कह भी चुके हैं। जो समस्याएं हैं उसपर मिल बैठकर बात करके जल्द मामले को नही निपटाया गया तो नुकसान अंततः पार्टी को ही होगा। मामला जितना लंबा खिंचेगा उतनी नई दावेदारी बढ़ती जाएगी। एक नेता ने कहा कि पूर्ण बहुमत की सरकार में मुख्यमंत्री बदलने की कोई जरूरत नही होती। न ही इस तरह की कोई स्थिति बनेगी। बाबा अपने लिए कुछ ज्यादा हासिल करने की कोशिश जरूर कर रहे हैं लेकिन एक सीमा से आगे जाकर दबाव बनाने की स्थिति में नही है। नेतृत्व को भरोसा है कि जल्द ही उन्हें समझा दिया जाएगा और शायद वे इसके बाद मामले को ज्यादा तूल न दें।