हिंदी सिनेमा में मात्र 11 फिल्मों का सफर, लेकिन अपनी अदाकारी से दिलों पर राज करने वाली अभिनेत्री 60 के दशक की पॉपुलर हीरोइन बनकर उभरी थीं। कल्पना मोहन की पहली फिल्म ‘प्रोफेसर’ 1960 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में कल्पना ने शम्मी कपूर के साथ काम किया था। ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही थी। फिल्म के गाने भी सुपरहिट थे। कल्पना का जन्म कश्मीर में हुआ था। उनके पिता अवनी मोहन स्वतंत्रता सेनानी थे। जवाहर लाल नेहरू के नजदीकी होने के साथ वो अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के सदस्य भी थे। कल्पना ने बचपन से ही शौक में कथक सीखना शुरू किया धीरे-धीरे उनकी प्रस्तुतियों की सराहना होने लगी।
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हिंदी सिनेमा में मात्र 11 फिल्मों का सफर, लेकिन अपनी अदाकारी से दिलों पर राज करने वाली अभिनेत्री 60 के दशक की पॉपुलर हीरोइन बनकर उभरी थीं। कल्पना मोहन की पहली फिल्म ‘प्रोफेसर’ 1960 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में कल्पना ने शम्मी कपूर के साथ काम किया था। ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही थी। फिल्म के गाने भी सुपरहिट थे। कल्पना का जन्म कश्मीर में हुआ था। उनके पिता अवनी मोहन स्वतंत्रता सेनानी थे। जवाहर लाल नेहरू के नजदीकी होने के साथ वो अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के सदस्य भी थे। कल्पना ने बचपन से ही शौक में कथक सीखना शुरू किया धीरे-धीरे उनकी प्रस्तुतियों की सराहना होने लगी।जवाहर लाल नेहरू उनके प्रशंसक थे और उनका उत्साह बढ़ाते रहते थे। कथक में पारंगत होकर उन्होंने अक्सर राष्ट्रपति भवन में होने वाले जलसों में नृत्य किया। ऐसे ही एक जलसे में अभिनेता बलराज साहनी और उर्दू की लेखिका इस्मत चुगतई ने कल्पना को देखा तो उन्हें उनके अंदर ग्लैमरस अभिनेत्री की संभावनाएं नजर आईं। उन्होंने कल्पना को मुंबई आने की सलाह दी।कल्पना मोहन ने जब फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा था तो वो बड़ी-बड़ी हीरोइनों के लिए खतरा बन गई थीं। कल्पना अच्छी एक्ट्रेस के साथ एक ट्रेंड कथक डांसर भी थीं। इस फिल्म के बाद हर जगह कल्पना चर्चा में आ गई थीं। तभी देव आनंद की भी नजर कल्पना पर पड़ी। उन्होंने अपनी फिल्म ‘तीन देवियां’ में उन्हें साइन कर लिया। उस समय की पॉपुलर एक्ट्रेस नंदा और सिमी गरेवाल के साथ कल्पना ने जोड़ी बनाई। इस फिल्म ने भी रिलीज होते ही रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। कल्पना की आंखें बेहद खूबसूरत थीं। हर कोई उनकी आंखों की तारीफ करते नहीं थकता था।कल्पना ने करीब 10 साल तक फिल्मों में काम किया। उनक करियर काफी छोटा रहा लेकिन जब तक वो फिल्मों में रहीं, दूसरी हीरोइनों के लिए खतरा बनी रहीं। श्रीनगर में जन्मीं कल्पना मोहन के पिता अवनी मोहन एक फ्रीडम फाइटर थे। अवनी पंडित जवाहर लाल नेहरू के काफी करीब थे। कल्पना कथक डांसर थीं इसलिए जब भी राष्ट्रपति भवन में कोई बड़ा फंक्शन होता था तब नेहरू, कल्पना को डांस परफॉर्मेंस के लिए बुलाते थे। एक्टर बलराज साहनी ने जब पहली बार कल्पना को देखा तो उन्हें फिल्मों में काम करने का मौका दिया। कल्पना का असली नाम अर्चना था लेकिन बाद में उन्होंने नाम बदल लिया।
जवाहर लाल नेहरू उनके प्रशंसक थे और उनका उत्साह बढ़ाते रहते थे। कथक में पारंगत होकर उन्होंने अक्सर राष्ट्रपति भवन में होने वाले जलसों में नृत्य किया। ऐसे ही एक जलसे में अभिनेता बलराज साहनी और उर्दू की लेखिका इस्मत चुगतई ने कल्पना को देखा तो उन्हें उनके अंदर ग्लैमरस अभिनेत्री की संभावनाएं नजर आईं। उन्होंने कल्पना को मुंबई आने की सलाह दी।
कल्पना मोहन ने जब फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा था तो वो बड़ी-बड़ी हीरोइनों के लिए खतरा बन गई थीं। कल्पना अच्छी एक्ट्रेस के साथ एक ट्रेंड कथक डांसर भी थीं। इस फिल्म के बाद हर जगह कल्पना चर्चा में आ गई थीं। तभी देव आनंद की भी नजर कल्पना पर पड़ी। उन्होंने अपनी फिल्म ‘तीन देवियां’ में उन्हें साइन कर लिया। उस समय की पॉपुलर एक्ट्रेस नंदा और सिमी गरेवाल के साथ कल्पना ने जोड़ी बनाई। इस फिल्म ने भी रिलीज होते ही रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। कल्पना की आंखें बेहद खूबसूरत थीं। हर कोई उनकी आंखों की तारीफ करते नहीं थकता था।
कल्पना ने करीब 10 साल तक फिल्मों में काम किया। उनक करियर काफी छोटा रहा लेकिन जब तक वो फिल्मों में रहीं, दूसरी हीरोइनों के लिए खतरा बनी रहीं। श्रीनगर में जन्मीं कल्पना मोहन के पिता अवनी मोहन एक फ्रीडम फाइटर थे। अवनी पंडित जवाहर लाल नेहरू के काफी करीब थे। कल्पना कथक डांसर थीं इसलिए जब भी राष्ट्रपति भवन में कोई बड़ा फंक्शन होता था तब नेहरू, कल्पना को डांस परफॉर्मेंस के लिए बुलाते थे। एक्टर बलराज साहनी ने जब पहली बार कल्पना को देखा तो उन्हें फिल्मों में काम करने का मौका दिया। कल्पना का असली नाम अर्चना था लेकिन बाद में उन्होंने नाम बदल लिया।