नई दिल्ली। कच्चे तेल के बाजार (Crude Oil Market) में लगातार सुस्ती का दौर जारी है। कल तो इस बाजार में इतनी गिरावट हुई है कि ब्रेंट क्रूड का दाम (Brent Crude Price) बीते चार महीने के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। हालांकि भारतीय बाजार में तीन पहले से ही सिर्फ डीजल की कीमतों (Diesel Price) में ही कटौती हुई है।
पेट्रोल जस का तस
पेट्रोल को जस का तस छोड़ दिया (Petrol Price Unchanged) गया है। ऐसा मौका चार महीने बाद आया है, जबकि सरकारी तेल कंंपनियां (Government Oil Companies) डीजल की कीमतों में कमी कर रही हैं। लेकिन, बीते 34 दिनों से जहां पेट्रोल (Petrol Price) के दाम स्थिर हैं। दिल्ली के बाजार (Delhi Market) में शुक्रवार को इंडियन ऑयल (IOC) के पंप पर पेट्रोल जहां 101.84 रुपये प्रति लीटर पर टिका रहा, वहीं डीजल 20 पैसे टूट कर 89.27 रुपये प्रति लीटर पर आ गया।
कच्चे तेल की कीमत टूटी
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखें तो दुनिया भर में कच्चे तेल के सबसे बड़े ग्राहक, अमेरिका (USA) में कच्चे तेल की मांग (Crude Oil Demand) उस तरह से बढ़ नहीं रही है, जैसी अपेक्षा थी। ऐसी खबर है कि वहां के केंद्रीय बैंक (Central Bank), फेडरल रिजर्व ने कोविड-19 के दिए जा रहे स्टिमुलस पैकेज (Stimulus Package) को समाप्त करने के संकेत दिए हैं। इससे गुरुवार को भी कच्चा तेल काफी टूटा।
इस साल की पहली तिमाही के दौरान कई राज्यों में विधानसभा चुनाव (Assembly Election) की प्रक्रिया चलने की वजह से बीते मार्च और अप्रैल में पेट्रोल की कीमतों (Petrol Price) में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई थी। इसलिए, उस दौरान कच्चा तेल महंगा (Crude Oil Dearer) होने के बाद भी पेट्रोल-डीजल के दाम (Petrol Diesel Price) में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। लेकिन, बीते चार मई से इसकी कीमतें खूब बढ़ी। कभी लगातार तो कभी ठहर कर, 42 दिनों में ही पेट्रोल 11.52 रुपये प्रति लीटर महंगा हो गया है। हालांकि, हरदीप सिंह पुरी के पेट्रोलियम मंत्री (Petroleum Minister) बनने के बाद बीते 18 जुलाई से इसके दाम स्थिर हैं।