दुर्ग। नाबालिग किशोरी का दैहिक शोषण किए जाने के मामले में अदालत द्वारा आरोपी को आजीवन कारावास की सजा से दंडि़त किए जाने का फैसला सुनाया है। आरोपी विवाहित होने के साथ साथ दो बच्चों का पिता है। अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि आरोपी का यह कृत्य सामाजिक व मानवीय पहलुओं को दृष्टिगत रखते हुए अत्यंत शर्मनाक है। इस प्रकार का अपराध पीडि़त पक्ष के मानसिक पटल पर आजीवन बना रहता है। इस स्थिति में आरोपी के प्रति रियायत बरतना उचित नहीं होगा।
प्रकरण की पीडि़ता को प्रतिकर के रुप में 4 लाख रुपए दिए जाने का आदेश भी दिया गया है। प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक मोहम्मद अरशद खान ने पैरवी की थी।
मामला सुपेला थाना क्षेत्र का है। आरोपी कैलाश नगर तितुरडीह, दुर्ग निवासी बबलू उर्फ राज उर्फ चितरंजन साहू (24 वर्ष) का राजनांदगांव जिले की निवासी पीडि़त 17 वर्षीय किशोरी से परिचय था। किशोरी से प्राय: बबलू मोबाइल के माध्यम से बातचीत करता था और उससे प्रेम संबंध भी स्थापित कर लिया था। इसी बीच बहलाफुसला कर वह किशोरी के साथ उसके परिजनों की अनुपस्थिति में शारीरिक संबंध भी बनाने लगा। जिसकी जानकारी आरोपी के पत्नी को होने पर विवाहिता ने पीडि़ता के घर जाकर हंगामा भी किया था। जिस पर परिजनों ने किशोरी को अपने रिश्तेदार के पास कोहका भेज दिया था।
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कोहका में भी आरोपी ने उससे संपर्क बनाए रखा। 9 जुलाई 2017 की दोपहर आरोपी ने किशोरी को फोन करके शादी का प्रलोभन देकर तालाब के पास बुलाया और उसे मोटरसायकल पर बैठा कर भगा ले गया। जिसके बाद टे्न से बैठकर दोनों रायगढ़ पहुंचे और चंद्रहासिनी मंदिर में आरोपी ने उसकी मांग में सिंदूर भरा। जिसके बाद नागपुर चले गए। जहां आरोपी किशोरी को लगभग 20 दिनों तक किराए के मकान में रखकर शारीकि संबंध बनाता रहा। इसी दौरान पीडि़ता ने मोबाइल पर अपनी मां से संपर्क किया तो मां ने मिलने की इच्छा जाहिर की। जिस पर आरोपी के कहने पर किशोरी अपनी मां को गोंदिया रेलवे स्टेशन बुलाया था। गोंदिया रेलवे स्टेशन पहुंचने पर 30 जुलाई 2017 को पुलिस ने नाबालिग को बरामद कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था। इस मामले में पुलिस ने आरोपी के खिलाफ दफा 363, 366, 376 तथा पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई कर प्रकरण को विचारण के लिए अदालत के समक्ष पेश किया था।
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प्रकरण पर विचारण विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) ममता भोजवानी की अदालत में किया गया। विचारण पश्चात आरोपी को विवाहित व दो बच्चों के पिता होने के बावजूद नाबालिक किशोरी का दैहिक शोषण किए जाने का दोषी पाया। प्रकरण का दोषी गिरफ्तारी के बाद से सजा सुनाए जाने तक जेल में ही निरुद्ध है।