पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के प्रमुख सचिव (PS) रहे अमन सिंह और उनकी पत्नी यास्मीन सिंह की याचिका पर हाईकोर्ट ने ACB पर नाराजगी जताई है। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि अगली सुनवाई तक जवाब पेश नहीं किया तो वह उचित आदेश पारित कर देगी। मामले की अगली सुनवाई 6 सितंबर को होगी। दंपती ने आय से अधिक संपत्ति मामले में आवदेन पेश किया है। कहा है कि उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है। इस पर ही ACB को कोर्ट में जवाब पेश करना था।
दरअसल, रायपुर के कांग्रेसी नेता विकास शर्मा ने अमन सिंह और यास्मीन सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाते हुए 2 साल पहले ACB/EOW में शिकायत की थी। ACB/EOW ने कार्यवाही शुरू की तो इसके खिलाफ अमन सिंह और यास्मीन सिंह ने हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं लगाईं। प्रारंभिक सुनवाई में ही HC ने दोनों के खिलाफ ‘नो कोर्सिव स्टेप’ यानी किसी भी प्रकार के दंडात्मक कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।
25 अगस्त तक पेश करना था जवाब
इसी याचिका पर 13 अगस्त की पिछली सुनवाई में अमन सिंह द्वारा प्रस्तुत किये गए आवेदन में कहा गया था कि प्रथमद्रष्टया उन पर मामला बनता ही नही। इस पर जस्टिस एन.के व्यास के सिंगल बेंच ने ACB को 25 अगस्त तक जवाब पेश करने आदेशित किया था, लेकिन जवाब पेश न होने पर HC ने कड़ी नाराजगी जाहिर की। फिलहाल ACB ने फिर समय मांगा है।
संविदा पर मिलते थे 80 हजार
यास्मीन सिंह को संविदा पर 80 हजार रुपए मिलती थी सैलरी
यास्मीन सिंह पर सांस्कृतिक विभाग में संविदा नियुक्ति के दौरान फर्जी तरीके से कार्यक्रम के लिए दौरा तय करना और शासन के खजाने से कार्यक्रम में खर्च बताकर भारी भरकम राशि आहरित करने का आरोप है। जानकारी के अनुसार, वर्ष 2005 में तत्कालीन BJP सरकार ने यास्मीन सिंह की संविदा नियुक्ति की थी। उस वक्त उनका वेतन प्रति माह 35 हजार रुपए निर्धारित किया गया था। तब तत्कालीन प्रमुख सचिव अमन सिंह का राज्य सरकार में अच्छा खासा प्रभाव था।
जांच में यह तथ्य भी सामने आया है कि 35 हजार रुपए प्रति महीने संविदा नियुक्ति करने वाली यास्मीन सिंह का वेतन कुछ सालों में ही बढ़कर 80 हजार प्रति महीना पहुंच गया था।