देश में कुछ जगहों पर जहां कोरोना के मामलों में कमी देखी जा रही है वहीं केरल की हालत चिंताजनक है। पिछले 24 घंटों में देश भर में कोरोना के जितने मामले आए हैं उनमें से 64 फीसदी अकेले केरल से आए हैं। मंगलवार को यहां 24 हजार मामले आए थे जो बुधवार को बढ़कर 31 हजार को पार कर गए। केरल की इस हालत के पीछे कुछ वजहें जिम्मेदार हैं जिनसे सबक लेते हुए ‘कोरोना बम’ को फटने से रोका जा सकता है।
दो दिनों में 55 हजार से ज्यादा
केरल में पिछले 24 घंटों में 31,445 नए केस सामने आए हैं। मंगलवार को राज्य में 24,296 कोरोना पॉजिटिव केस मिले थे। मंगलवार को मिले 24,296 केस भी मई के बाद से पहली बार सर्वाधिक बताए जा रहे थे। 26 मई के बाद दूसरी बार है जब मामलों की संख्या 24000 के पार गई है। 26 मई को 28,798 मामले आए थे।
आई तेजी ने बढ़ाई चिंता
केरल के मामले में कहा जा रहा है कि ओणम के उत्सव के सप्ताह बाद, राज्य में एक बार फिर से महामारी बढ़ी है। यह बढ़े मामले भी तब दर्ज किए गए हैं जब केरल में ओणम के चलते अभी कम टेस्टिंग हो रही हैं। राज्य ने पिछले तीन दिनों में रोज 17,000 से कम कोविड केसेस सामने आ रहे थे, हालांकि इससे पहले की संख्या 20,000 से ऊपर थी। इस तरह देखा जाए तो अब कोरोना के मामले लगभग दोगुने हो गए हैं।
त्योहार में ढ़ील की सजा
लेकिन ओणम और मोहर्रम के दौरान सरकार ने ढील बरती और धर्मस्थलों व बाजारों में लोगों की भीड़ जुटने लगी। जब सोशल डिस्टेंसिंग की बंदिशें हटीं तो कोरोना का संक्रमण भी तेजी से फैला। इन्हीं लापरवाहियों की वजह से केरल में ‘कोरोना बम’ फूटा है।
तो चपेट में आएगा देश
लेकिन चिंता की बात यह है कि अगले कुछ महीनों में दशहरा, दिवाली जैसे त्योहार हैं। अगर ढील और लापरवाही के केरल पैटर्न को दोहराया गया तो देश कोरोना की तीसरी लहर के आने से पहले ही वायरस के चक्रव्यूह में फंस जाएगा। ऐसे में जिन राज्यों में केस कम होने की वजह से स्कूल खोल दिए गए हैं वहां बच्चों के बीच कोरोना फैलने में समय नहीं लगेगा।
केरल में संक्रमण की बढ़ती रफ्तार ने कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाओं को और बढ़ा दिया है। विशेषज्ञ पहले ही अलर्ट कर चुके हैं कि तीसरी लहर अक्टूबर में आ सकती है जिसकी चपेट में बच्चों के आने की आशंका ज्यादा है।
तीसरी लहर अक्टूबर में!
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) के तहत गठित एक्सपर्ट पैनल ने तीसरी लहर की चेतावनी दी है। बताया जा रहा है कि तीसरी लहर अक्टूबर के आसपास पीक पर पहुंच सकती है। कमेटी ने इस दौरान बच्चों के लिए बेहतर मेडिकल तैयारी की जरूरत पर जोर दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चे को भी बड़ों के समान ही खतरा है।