नंदलाल के जन्मोत्सव को लेकर उत्साहित देवभूमि में भी भव्य तैयारियां की गई हैं। नारायण ज्योति संस्थान के संस्थापक आचार्य विकास जोशी के अनुसार इस साल जन्माष्टमी पर ग्रह नक्षत्रों का अति दुर्लभ विशेष संयोग बन रहा है। ग्रहों के विशेष संयोग के कारण इस साल की जन्माष्टमी बहुत खास मानी जा रही है।
श्रीमद् भागवत पुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र और वृषभ राशि में मध्य रात्रि में हुआ था। इस साल 30 अगस्त को जन्माष्टमी का पर्व शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि रोहणी नक्षत्र के साथ वृषभ राशि में चंद्रमा के साथ सोमवार (चंद्रवार) का होना बेहद दुर्लभ संयोग माना जा रहा है।
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हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि के योग भी बन रहा हैं। इस दौरान मान्यता है कि सच्चे मन से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना करने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी की तिथि को लेकर हर बार कृष्ण और शैव मतावलंवियों के बीच में संशय रहता है। तिथि को लेकर मतभेद होने के कारण जन्माष्टमी दो दिन मनाई जाती है, लेकिन इस बार सभी जगह एक ही दिन जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
पूजन के शुभ मुर्हुत
डॉ. आचार्य सुशांत राज ने बताया भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 29 अगस्त की रात 11 बजकर 25 मिनट से शुरू हो जाएगी, जो 30 अगस्त की रात 02 बजे तक रहेगी। ऐसे में पूरे देश में 30 अगस्त को ही जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र 30 अगस्त की सुबह 06 बजकर 39 मिनट पर रहेगा। ऐसे में जन्माष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त की रात 11 बजकर 59 मिनट से रात 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा।