नई दिल्ली। भारत की जीडीपी वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में बढ़कर 20.1 प्रतिशत रही। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने मंगलवार को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर को जारी करते हुए कहा कि यह अबतक की सबसे बेहतर तिमाही वृद्धि दर है। 1990 के मध्य के बाद से यह सबसे तेज वृद्धि है। वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही के मुकाबले यह वृद्धि दर 1.6 प्रतिशत और एक साल पहले की समान तिमाही के मुकाबले 24.4 प्रतिशत अधिक है। चालू तिमाही में वृद्धि का प्रमुख कारण निम्न-आधार प्रभाव है। चीन की वृद्धि दर 2021 की अप्रैल-जून तिमाही में 7.9 प्रतिशत रही है।
सांख्यिकी एवं योजना क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक स्थिर (2011-12) मूल्य पर वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में जीडीपी का आकार 32.38 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान जताया गया है। वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी का आकार 26.95 लाख करोड़ रुपये था। इस प्रकार जीडीपी में 20.1 प्रतिशत की वृद्धि झलकती है। 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी में 24.4 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
जीडीपी की यह वृद्धि पिछले साल आई गहरी मंदी से बाहर निकलने का संकेत है। कोविड-19 की दूसरी खतरनाक लहर के बावजूद विनिर्माण में तेजी ने इस वृद्धि की राह को आसान बनाया है। इसके अलावा, तिमाही सकल मूल्य में 18.8 प्रतिशत वृद्धि हुई और यह 30.48 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो एक साल पहले समान तिमाही में 25.66 लाख करोड़ रुपये था।
भारत एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। पिछले साल राष्ट्रीय लॉकडाउन की वजह से पूरे वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आई थी। इस साल अप्रैल-मई में आई दूसरी लहर से अर्थव्यवस्था उतनी बुरी तरह प्रभावित नहीं हुई, क्योंकि राज्य सरकारों ने कम कठोर लॉकडाउन लगाया। मार्च तिमाही में, भारतीय अर्थव्यवस्था 1.3 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ी थी।
रिजर्व बैंक ने 6 अगस्त को जारी अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में अनुमान जताया था कि जून तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 21.4 प्रतिशत रह सकती है। वहीं रॉयटर्स के सर्वे में शामिल 41 अर्थशास्त्रियों ने जीडीपी की वृद्धि दर 20.0 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया था। आरबीआई ने चालू वित्त वर्श में वार्षिक जीडीपी वृद्धि दर 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है।