ग्रैंड न्यूज़ डेस्क। प्रदेश में आज हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है, साथ ही गरज-चमक के साथ छींटे पड़ने की संभावना है। लालपुर मौसम केंद्र के मौसम विज्ञानी एचपी चंद्रा के अनुसार एक ऊपरी हवा का चक्रवात विदर्भ के पश्चिमी भाग में है। मानसून द्रोणिका बीकानेर, कोटा, सागर, पेंड्रा रोड, गोपालपुर और उसके बाद दक्षिण-पूर्व की ओर पूर्व-मध्य बंगाल की खाड़ी तक है।
इन जिलों में बारिश होने की प्रबल संभावना
प्रदेश के महासमुंद, बलौदाबाजार, रायपुर, दुर्ग ,बेमेतरा, राजनाँदगाँव ,कवर्धा, मुंगेली तथा इससे लगे जिलों में एक दो स्थानों पर गरज चमक के साथ भारी वर्षा होने की प्रबल संभावना है।
आकाशीय बिजली गिरने की भी संभावना
मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश के जशपुर कोरबा, बिलासपुर, जांजगीर, राजनांदगाँव, दुर्ग, बालोद, धमतरी, गरियाबंद, कांकेर, नारायणपुर, कोण्डागांव, बीजापुर, दंतेवाड़ा, बस्तर तथा इससे लगे जिलों में एक दो स्थानों पर गरज चमक के साथ आकाशीय बिजली गिरने की संभावना है।
इस साल हो सकती है 88 फीसदी बारिश
जुलाई के आखिरी सप्ताह में हुई भारी वर्षा ने अगस्त में बारिश की खाई को पूरा कर दिया है। लेकिन मानसून का कोटा पूरा होने में अभी भी साढ़े तीन सौ मिमी से कुछ ज्यादा बारिश की जरूरत है। सितंबर में 200 मिमी के आसपास बारिश होती है। यदि इतनी बारिश भी हुई तो राज्य में इस साल मानसून के दौरान 88 लगभग फीसदी बारिश होगी।
इस साल बारिश की कमी
यह मौसम विभाग के पूर्वानुमान से करीब आठ फीसदी कम है। मौसम विभाग ने इस साल पूरे देश में 96 से 104 प्रतिशत बारिश का पूर्वानुमान जारी किया था। जहां तक छत्तीसगढ़ का सवाल है, उपलब्ध आंकड़ों और अनुमानों के आधार पर वैज्ञानिकों का कहना है कि इस साल राज्य में मानसून की बारिश औसत से 85 से 90 फीसदी के बीच यानी कुछ कम ही रहने वाली है।
जबकि राष्ट्रीय मौसम विज्ञान विभाग ने अनुमान जारी किया था कि मध्य भारत जिसमें छत्तीसगढ़ भी शामिल है, वहां औसत की 106 फीसदी से अधिक बारिश हो सकती है। चूंकि यह स्थिति अब नहीं है और अब तक की बारिश के आधार पर वैज्ञानिकों का प्रोजेक्शन है कि छत्तीसगढ़ में मानसून की कुल वर्षा औसत से 12 फीसदी कम यानी 88 फीसदी के आसपास हो सकती है।
इतनी वर्षा की संभावना कम :
इधर, लालपुर मौसम केंद्र के मौसम विज्ञानी एचपी चंद्रा का कहना है कि अगस्त में मानसून थोड़ा कमजोर रहा है, इसलिए इस साल अगस्त में बारिश कम है।
अभी तक की स्थिति के आधार पर यह भी नहीं कहा जा सकता है कि सितंबर में औसतन जितनी वर्षा (211 मिमी) होती रही है, इस बार भी उतनी हो ही जाए, क्योंकि मानसून कमजोर ही दिख रहा है।
यदि औसत बारिश हो जाती है तो मानसून की बारिश 88 फीसदी रहेगी। औसत से कम बारिश होती है तो मानसून की बारिश और भी कम हो जाएगी।