जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में भाजपा का तीन दिवसीय चिंतन शिविर बस्तर में चल रहा है। आज इस शिविर का अंतिम दिवस है। एक दिन पहले भाजपा के वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने गंभीर सवाल उठाया था कि आखिर 15 सालों तक सत्ता पर काबिज रहने के बावजूद भाजपा प्रदेश में 15 सीटों पर ही क्यों सिमट गई।
इस गंभीर सवाल के साथ ही भाजपा के दिग्गजों के चेहरों पर हवाईयां उड़ गई थी। लगा था कि वास्तव में छग भाजपा के नेता इस विषय को लेकर गंभीरता से मंथन करेंगे, अपनी खामियों को तलाशेंगे और उस पर चिंतन करने के पश्चात भविष्य के राजनीतिक रणनीति पर उतने ही गंभीर होकर चिंतन करेंगे।
पर जो वीडियो और तस्वीरें बस्तर में जारी चिंतन शिविर से सामने आईं हैं, उसमें इस बात का कहीं पर भी अहसास नहीं हो रहा है कि यह उसी अनुशासनात्मक भाजपा का चेहरा है, जो हर विषयों को तार्किक तरीके से विश्लेषण करने पर जोर देती आई है।
एक गंभीर सवाल जिसे भाजपा के दिग्गज वरिष्ठ नेता और प्रदेश के प्रथम नेता प्रतिपक्ष डॉ0 नंद कुमार साय ने उठाया, वही बैठक स्थगित होने के बाद ढोल लेकर उतर पड़े। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह जो बात भी नपे—तुले अंदाज में किया करते थे, हथेलियों से थाप देकर थिरकते नजर आए।
चिंतन का विषय तो यह है कि आखिर भाजपा राजधानी से दूर वनांचल बस्तर में किस की चिंता करने एकत्र हुई है। और यही चिंतन शिविर है, तो फिर भाजपा के लिए आने वाला वक्त भी चिंता का ही हो सकता है।