रायपुर। छत्तीसगढ़ में 15 सालों के इंतजार के बाद, एक सतत प्रयास और संघर्ष को परिणाम मिला, तब जाकर प्रदेश में कांग्रेस सरकार की वापसी हुई। तब भी मुखिया को लेकर मतभेद था, प्रदेश की जनता ने अपना मत इसलिए ही दिया था ताकि राज्य में सुशासन आ सके। एक ऐसा मुखिया उन्हें मिले, जो हर वर्ग, समाज और नागरिक के लिए समान भाव रखता हो, जिसके लिए मुखिया का मतलब वास्तविक हो। तब अनुमान नहीं था कि जो मुखिया उन्हें मिलने जा रहा है, उनकी सोच को पूरा कर पाएगा।
आज ढ़ाई बरस बीत जाने के बाद जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने पिता के मामले में बयान दिया, कानून को सर्वोपरि बताया, समाज के समक्ष पिता को गौण साबित कर दिया, तो राज्य के लोगों को अहसास हो गया कि ‘भूपेश है, तो भरोसा है’।
बीते ढ़ाई बरस से केवल राजनीतिक गलियारों में यह बात गूंज रही थी कि ‘भूपेश है, तो भरोसा है’, लेकिन आज से प्रदेश का हर नागरिक इस तथ्य को स्वीकार कर पाएगा कि यह केवल राजनीतिक परिभाषा नहीं, बल्कि वास्तविकता है।
हर किसी के लिए संदेश
देश में यह देखने को मिल रहा है कि वर्ग विशेष को लेकर भ्रांतियां फैलाई जा रही है, सांप्रदायिकता को हवा दी जा रही है, लेकिन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज एक नई इबारत लिख दी है। यह पूरे देश के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
अनेकता में एकता का संदेश
बचपन से भारत में एक पाठ हमेशा पढ़ाया जाता है कि केवल भारत ही एकमात्र गणराज्य है जहां अनेकता के बाद भी एकता है। लेकिन इसके प्रमाण कहीं नहीं नजर आ रहे थे। आज छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के एक बयान ने उस संदेश को पुनर्जीवित कर दिया है।