जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि इसकी जांच करनी होगी। बता दें कि जुलाई में केंद्र सरकार ने मेडिकल दाखिलों के सिलसिले में OBC के लिए 27% और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10% सीटों पर आरक्षण लागू किया है। इसके आधार पर अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल कोर्सेज में ओबीसी स्टूडेंट्स को 27 फीसदी और इकॉनोमिकली वीकर सेक्शन (EWS)के लिए 10 फीसदी आरक्षण मिलेगा। बता दें कि केंद्र सरकार के ऐलान के बाद नई आरक्षण नीति इस साल से ही लागू हो गई है।
देश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में कुल उपलब्ध अंडर ग्रेजुएट सीटों का 15% और कुल उपलब्ध पोस्ट ग्रेजुएट सीटों का 50% कोटा केंद्र सरकार को ऑल इंडिया कोटे के तहत मिलता है। केंद्र सरकार ने अपने इसी कोटे में ओबीसी और ईडब्ल्यूएस आरक्षण का ऐलान किया है।
MBBS-BDS की ओबीसी कोटे के लिए 1500 और EWS कोटे के लिए 550 सीटें इस फैसले के जरिए आरक्षित हो गई हैं। इसी तरह पोस्टग्रेजुएशन में यानी MD / MS / MDS में ओबीसी कोटे के लिए 2500 और EWS कोटे के लिए 1000 सीटें आरक्षित हो गई हैं। ये राज्यों के मेडिकल कॉलेजों की वो सीटें हैं जिन्हें ऑल इंडिया कोटे के तहत भरा जाता है।
अब सरकार के फैसले के बाद ऑल इंडिया कोटे की सीटों पर ओबीसी को 27 फीसदी और कमजोर आय वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण मिलेगा। एससी-एसटी के लिए इस कोटे से पहले की तरह ही क्रमशः 15% और 7.5% आरक्षण मिलता रहेगा। इसी साल 2021-22 में होने जा रही नीट की परीक्षाओं से ये आरक्षण लागू होगा। केंद्रीय योजना होने के कारण इस आरक्षण के लिए ओबीसी की केंद्रीय सूची का उपयोग किया जाएगा।