छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के अंतर्गत मैनपुर विकासखंड के झरियाबहारा आदिवासी बालक आश्रम में भ्रष्टाचार की नई इबारत लिखी गई हैं। अभी नए भवन का उद्घाटन हुए मात्र 2 माह ही बीते हैं, जिसके लिए लाखों रुपए खर्च किया गया है, जिसमें भ्रष्टाचार की पोल खुलकर सामने गई है।
दो माह पहले 10 जून को इस भवन का उदघाटन हुआ। मगर विभाग ने इसकी रंगाई पोताई के नाम पर 90 हजार का बिल बहुत पहले ही जारी कर दिया। यही नही लैब में ऐसी लगाया जाना था, ऐसी तो नही लगा मगर उसका 47 हजार का बिल जरूर पास हो गया। रेड कॉरपेट की जगह पायदान बिछाकर एक लाख रुपये का बिल भुगतान कर दिया गया। मामले का खुलासा सूचना के अधिकार से मिली जानकारी के आधार पर हुआ है।
आदिवासी बालक आश्रम के लिए 20 लाख
एक्टिविस्ट कन्हैया मांझी के मुताबिक केंद्रीय मद से गरियाबंद जिले को कमार भुंजिया प्रोजेक्ट के लिए 3 करोड़ 47 लाख रुपये प्राप्त हुए थे। इसमें से 88 लाख रुपये शिक्षा पर व्यय किये जाने थे। उसमें से झरियाबहारा आदिवासी बालक आश्रम के लिए 20 लाख रुपये जारी हुआ था। जिसमें आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा राशि का बंदरबांट कर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है।
महंगे सामान के बिल पास
भ्रष्टाचार यही खत्म नही हुआ। इसके अलावा भी ठेकेदार द्वारा जो सामान सप्लाई किया गया है वह भी गुणवत्ताहीन बताया जा रहा है। सस्ते सामान सप्लाई कर महंगे सामान के बिल पास कर दिए गए है। सबसे ताज्जुब की बात तो ये है कि विभाग ने जिस ठेकेदार को लाखों रुपये का भुगतान किया उसके पास जीएसटी नंबर तक नही है।
मामले का पर्दाफाश
मामले का पर्दाफाश हुआ तो विभाग के बड़े अधिकारियों ने मुंह फेरना शुरू कर दिया। मैनपुर बीईओ आरआर सिंह ने खुद को केवल माध्यम और सबकुछ ऊपर से तय होने की बात कहकर कुछ भी बोलने से मना कर दिया। वहीं जिला अधिकारी बीके सुखदेवे ने सप्ताहभर पहले ही चार्ज संभालने की बात कहकर मामले से अनभिज्ञता जाहिर कर दी।