ग्रैंड न्यूज़ डेस्क। शासकीय उचित मूल्य की दुकान निरस्त करने के मामले में हाईकोर्ट ने अंतरिम राहत देते हुए दुकान निरस्त करने के मामले में स्टे दिया है।
इस मामले में राशन दुकानों की तरफ से अधिवक्ता अंजिनेश अंजय शुक्ला के माध्यम से याचिका प्रस्तुत की गयी । इसमें बताया गया कि गरियाबंद जिले की सहकारी समितियों के द्वारा उपभोक्ता भंडार का संचालन 1985 से लगातार किया जा रहा है ।गरियाबंद खाद्य नियंत्रक ने ज्ञापन जारी कर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रक) आदेश के खंड 9 के तहत उपखंड 4 में दिए गए प्रावधान के तहत 3 से अधिक शासकीय उचित मूल्य की दुकान संचालन करने वालों को समर्पण किए जाने निर्देशित किया था ।
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नियम के तहत नहीं हुई थी कार्यवाही
याचिककर्ता के अधिवक्ता अंजिनेश अंजय शुक्ला ने प्रतिउत्तर देकर विभाग को अवगत कराया कि उचित मूल्य दुकान लगभग 3 दशक पहले आवंटित की गयी थी । तत्कालीन प्रभावशाली प्रावधान छत्तीसगढ़ (खाद्य पदार्थ ) सार्वजनिक नागरिक पूर्ति वितरण 2001 में कहीं भी यह उल्लेखित नहीं किया गया था कि किसी एजेन्सी को तीन से अधिक दुकानें नहीं दी जाएंगी ।अधिवक्ता अंजिनेश अंजय शुक्ला ने कोर्ट में बताया कि पूरे ज़िले में बड़ी संख्या में सेल्समैन पीडीएस दुकानों में कार्यरत हैं । जो कि उनके आजीविका का एक मात्र साधन है । यदि इस आदेश पर रोक नहीं लगायी जाती है तो दुकानों में काम करने वालों के परिवारों का पेट पालना मुश्किल हो जाएगा। जो की भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (छ) का उल्लंघन होगा।
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हाईकोर्ट ने दी राहत
अंततः अधिवक्ता अंजिनेश अंजय शुक्ला द्वारा प्रस्तुत इस याचिका को स्वीकार कर जस्टिस गौतम भादुड़ी की एकल पीठ ने समितियों को आदेश पर रोक लगाकर राहत प्रदान की है।
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निम्न पीडीएस दुकानों को दी गई है राहत
1) आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित अमलिपदार
2) सहकारी विप्रण एवं प्रक्रिया समिति मर्यादित बिंद्रानवागढ़
3) आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित कणदेकेला
4) दी किसान सहकारी विप्रण संस्था मर्यादित देवभोग