रायगढ़. जिले में हुई एक शादी की चर्चा क्षेत्र में खूब हो रही है. यहां शादी किसी इंसान की नहीं, बल्कि मेंढक और मेंढकी की कराई गई है और वो भी हिंदू परंपरा की रीति-रिवाज के साथ. रायगढ़ के लैलूंगा में बीते 11 सितंबर को मेंढक-मेंढकी का ब्याह कार्यक्रम संपन्न हुआ. इस ब्याह में वर-वधु पक्ष के 1000 से अधिक लोग शामिल हुए. शादी के जश्न में लोगों ने नाच-गाना किया और दावत भी हुई. मंत्रोचार के साथ पंडित ने ब्याह कार्यक्रम संपन्न कराया. धूमधाम से हुए इस अनोखे ब्याह की चर्चा पूरे इलाके में हो रही है.
दरअसल छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में एक मान्यता है कि यदि मेंढक व मेंढकी की शादी कराई जाए तो इलाके में अच्छी बारिश होती है. इस मान्यता के तहत रायगढ़ जिले के लैलूंगा ब्लॉक के एक छोटे से गांव बेस्कीमुडा में एक मेंढक (नर) और मेंढकी (मादा) की पूरे रीति रिवाज से बीते शनिवार को शादी कराई गई. हिंदू परंपरा में जैसे इंसानों की शादी होती है, उन्हीं रस्मों के साथ पूरे धूमधाम से शादी का कार्यक्रम संपन्न कराया गया. इस शादी की दावत में आमंत्रण के लिए बकायदा कार्ड भी छपवाए गए थे.
दूल्हा पक्ष बना एक गांव सोनाजोरी
शादी में शामिल इलाके के भाजयुमो नेता कृष्णा जायसवाल ने बताया कि दूल्हे मेंढक पक्ष से सोनाजोरी गांव के पूरे ग्रामीण बाराती बनकर गाजे बाजे के साथ नाचते गाते बेस्कीमुडा में आयोजित शादी के मंडप में पहुंचे. वहां दुल्हन पक्ष मेंढकी के गांव बेस्कीमुडा के ग्रामीणों ने दूल्हा पक्ष के आए बारातियों का स्वागत किया.
मंडप में पंडित के मंत्रोचार के साथ हुई शादी
कृष्णा ने बताया- दूल्हा दुल्हन के मंडप पर पहुंचने के बाद पंडित ने मंत्रोच्चार से शादी की सभी रस्मों को पूरा कराया. यहां दावत का भी पूरा इंतजाम किया गया था. तकरीबन 1000 से ज्यादा ग्रामीण इसमें शामिल थे. इस पूरी शादी के पीछे एक मान्यता है. उसके अनुसार बारिश अच्छी न होने पर इस तरीके से मेंढक और मेंढकी की शादी की रस्म पूरी करायी जाती है. इसके बाद अच्छी बारिश की उम्मीद की जाती है. यह शादी पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है.