विश्व स्वास्थ्य संगठन इसी हफ्ते भारत में तैयार हुई कोवाक्सिन को मंजूरी दे सकता है। अब भारत में जो वैक्सीन इस्तेमाल हो रही हैं, उनमें कोविशील्ड, स्पूतनिक को तो डब्ल्यूएचओ की मंजूरी मिल चुकी है। लेकिन परीक्षण नतीजों से जुड़े डेटा के देर से प्रकाशित होने की वजह से अब तक कोवाक्सिन को संगठन से मंजूरी नहीं मिल पाई थी।
गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पिछले महीने ही कहा था कि भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन कोवाक्सिन को आपातकालीन मंजूरी देने पर सितंबर अंत तक फैसला लिया जा सकता है। इस टीके को अभी तक किसी पश्चिमी देश की नियामक संस्था से भी मंजूरी नहीं मिली है।
कुछ दिनों पहले ही भारत में बने इस टीके पर कुछ अध्ययन प्रकाशित हुए थे। हालांकि, भारत के किसी अनुसंधानकर्ता ने टीके पर कोई उन्नत शोध प्रकाशित नहीं किया था। जिसके चलते इसे डब्ल्यूएचओ से मंजूरी मिलने में देर हो गई। हालांकि, भारत में इस टीके को कोविशील्ड के साथ टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत से ही इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत के वैज्ञानिकों का कहना है कि यह टीका 78 प्रतिशत तक प्रभावी है।
बता दें कि भारत बायोटेक ने जुलाई की शुरुआत में बताया था कि उसने अपने कोविड-19 टीके कोवैक्सीन के आपात उपयोग के लिए सभी जरूरी दस्तावेज विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को सौंप दिए हैं। कंपनी ने वैक्सीन को जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद भी जताई थी। कोवाक्सिन को डब्ल्यूएचओ से आपातकालीन उपयोग सूचीबद्धता (ईयूएल) प्रक्रिया के तहत मंजूरी मिलेगी, जिसके बाद इसे दुनियाभर में मान्यता मिल जाएगी।