नई दिल्ली। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने शनिवार को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में उपयोग के लिए सात महाद्वीपों के 115 देशों से पवित्र धाराओं, नदियों और समुद्रों से पानी प्राप्त किया। मंत्री को बताया गया कि पानी मुसलमानों, बौद्धों, सिखों, यहूदियों और हिंदुओं सहित सभी धर्मों के लोगों द्वारा एकत्र किया गया है। राजनाथ सिंह ने इस दौरान समूह से उन 77 देशों से पानी एकत्र करने के लिए एक अभियान शुरू करने के लिए कहा, जिन्हें छोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा कि मंदिर के लिए सभी देशों से जल आना चाहिए। हमने दुनिया को वसुधैव कुटुम्बकम के संदेश दिया है।
राजनाथ सिंह ने कहा, ‘सात महाद्वीपों और 192 देशों में से 115 देशों से पानी एकत्र किया गया है। मुझे विश्वास है कि जब तक मंदिर का निर्माण होगा, तब तक इस जल संग्रह के आंदोलन से बचे 77 देश भी शामिल हो जाएंगे।’ राजनाथ ने दुनिया को एक परिवार मानने वाले राष्ट्र होने के लिए भारत की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए हमने हिंसा का सहारा नहीं लिया, लेकिन शांतिपूर्ण ढंग से मामले का हल होने का इंतजार किया। हम जाति और पंथ के आधार पर भेदभाव नहीं करते हैं।
राम मंदिर के लिए दुनियाभर से पानी इकट्ठा करने और सभी धर्मों के लोगों को शामिल करने का अभियान दिल्ली स्टडी ग्रुप के अध्यक्ष विजय जाली द्वारा शुरू किया गया था। अयोध्या राम मंदिर के लिए सात महाद्वीपों के 115 देशों से पानी एकत्र किया गया। आयोजन के महत्व को रेखांकित करते हुए, श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने कहा कि रामायण में उल्लेख है कि भगवान राम को राजा के रूप में अभिषेक करने के लिए दुनियाभर से पानी लाया गया था।
चंपत राय ने कहा, ‘जो आज यहां बैठे हैं वे पूरी दुनिया का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। अयोध्या में एक जगह है जिसे सप्तसागर के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जब भगवान राम का अभिषेक होना था, तब दुनियाभर के समुद्रों से पानी लाया गया था। तो हमने सोचा कि क्यों न उनके जन्मस्थान पर बने मंदिर के लिए ऐसा किया जाए? हम विभिन्न देशों से रामायण पर शोध कर रहे हैं। भगवान राम पक्षपात से ऊपर हैं। यह मेरे लिए एक भावनात्मक मुद्दा है। मैं आप सभी को अयोध्या आने का निमंत्रण देता हूं। लोगों को आना चाहिए और मंदिर निर्माण स्थल को देखना चाहिए। फाउंडेशन का पहला चरण पूरा हो रहा है। कई एजेंसियां इस पर काम कर रही हैं। इसकी उम्र एक हजार साल होगी।’