रायपुर। नवयुवक गणेशोत्सव समिति में भगवान श्री गणेश जी का हवन पूजन और भंडारे का आयोजन किया गया। पूरे विधिविधान और मंत्रोजाप के साथ समिति के सदस्य और श्रद्धालुओं द्वारा बड़ी संख्या में उपस्थित होकर कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
सिंध नवयुवक गणेशोत्सव समिति में युवतियों की विशेष टीम लीडर स्वाति पंजवानी ने बताया कि भंडारे में प्रसाद के रूप में सभी तरह के व्यंजनों जैसे – दाल, चांवल, पूड़ी, छोले की सब्जी, रोटी, पनीर मटर की सब्जी, गुलाब जामुन, मिर्ची भजिया, रायता, हलवा, आदि की व्यवस्था की गई है। भगवान श्री गणेश जी को भोग लगाकर भंडारे में आए सभी भक्तो ने प्रसाद ग्रहण किया।
क्रमबद्ध तरीके से किया गया प्रसाद वितरण
स्वाति पंजवानी ने कहा कि भंडारे में आए श्रद्धलुओं को उनकी टीम ने क्रमबद्ध तरीके से बिठा कर प्रसाद वितरण किया गया। वहीं भक्तो ने भी भंडारे का आनंद लेते हुए प्रसाद ग्रहण किया। सभी भक्तो ने प्रसाद ग्रहण करने के बाद भंडारे की टीम लीडर स्वाति पंजवानी और उनकी टीम व सिंध नवयुवक गणेशोत्सव समिति के सदस्यों को प्रसाद की और भंडारे की व्यवस्था से खुश होकर आभार व्यक्त किया।
स्वाति पंजवानी ने कहा कि भगवान श्री गणेश जी की स्थापना से लेकर हवन पूजन व भंडारे के साथ साथ महाआरती और 56 भोग की व्यवस्था 11 दिनो तक रोज़ सुबह और शाम को गणेश जी की आरती की थाली सजाना, गणेश जी की रोज़ माला बनाना, प्रसाद की व्यवस्था और गणेश पंडाल की देखरेख भी स्वाति पंजवानी और उनकी टीम ही करती है।
सबसे प्रथम होती है गणेश जी की पूजा – पंडित विनोद शुक्ला
प्रयागराज घीसापुर से आए पंडित विनोद शुक्ला ने बताया कि हिन्दू धर्म में भगवान श्री गणेश जी की पूजा सबसे प्रथम देव के रूप में होती है किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश जी की पूजा अर्चना सर्वप्रथम होती है। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि गणपति जी अपने भक्तों के सभी दुखो को दूर करते हैं इसलिए गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। हर साल भादो मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है।