कोरोना की तीसरी लहर (Corona Third Wave) की आहट के बीच देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स नई दिल्ली ने स्मार्ट लैब (Smart Lab) तैयार किया है. लैब में कार्यरत डॉक्टर सुदिप्त दत्त का दावा है कि पूरी तरह से काम करने पर इस लैब में एक दिन में एक लाख से अधिक ब्लड टेस्ट किए जा सकते हैं.
देश के सबसे आधुनिकतम लैब ने काम करना शुरू कर दिया है. इस लैब में लगभग 70 तरह के ब्लड टेस्ट किए जा रहे हैं जिसे आने वाले दिनों में बढ़ाकर 270 तक किया जा सकता है. दावा यह भी किया जा रहा है कि एशिया में यह अपने तरह का पहला लैब है.
बार कोडिंग के आधार पर टेस्ट
सबसे पहले कलेक्शन सेंटर से ब्लड कलेक्ट करने के बाद उसमें बार कोड डाला जाता है. बार कोड से ही यह तय हो जाता है कि एक ब्लड सैंपल से कितने तरह के टेस्ट होने हैं. एक बार कलेक्शन सेंटर से ब्लड लैब में आने के बाद उसे मशीन में डाला जाता है. मशीन बार कोड को रीड करने के बाद एक सैंपल को अलग–अलग टेस्ट से गुजारती हैजिससे घंटों का टेस्ट मिनटों में संभव हो जाता है.
मिनटों में टेस्ट रिपोर्ट
इस लैब में एक सैंपल से लगभग 80 तरह के टेस्ट संभव है. डॉक्टरों ने दावा किया कि इम्यूनोलॉजी से संबंधित टेस्ट की रिपोर्ट महज 18 मिनट में तैयार हो जाती है. इसके साथ ही दूसरे क्लिनिकल रिपोर्ट 10 से 12 मिनट में मिल सकता है. इसकी वजह से मरीज को अपनी रिपोर्ट के लिए घंटों इंतजार नहीं करना पड़ता है.
मानवीय भूल ( ह्यूमन एरर) नगण्य
डॉ सुदिप्त ने दावा किया कि आम तौर पर कई बार ऐसा होता है कि पैथ रिपोर्ट तैयार करते समय रिपोर्ट में जो कुछ भी निकलकर आता है उसकी रिपोर्ट तैयार करने में कई बार काफी ह्यूमन एरर देखने को मिलती है. मसलन यदि किसी की रिपोर्ट में आंकलन 1 है और मानवीय भूल से वह 2 या कुछ और लिखा गया तो उससे बीमारी के इलाज की दिशा बदल जाती है. इस मशीन में ब्लड टेस्ट के बाद रिपोर्ट भी मशीन से ही तैयार होती है और रिपोर्ट प्रिंट होकर सामने आ जाती है.