अक्सर इस तरह के मामले सामने आते रहते हैं, जहां नवजात बच्चों को जन्म देने के बाद मरने के लिए नदी, नालों, कुड़े या फिर जंगलों में फेंक दिया जाता है। अपने शरीर की आवश्यकताओं को पूरी करने के बाद इन मासूमों के प्रति कोई दया भाव नहीं रहता, लेकिन यह भी सच है कि ‘जाको राखें सांईयां, मार सके ना कोय’।
ऐसे कई मामलों में से एक राजस्थान के अलवर के बानसूर में सामने आया था, जहां दो साल पहले एक मासूम नवजात बच्ची पानी के हौद में फेंक दिया गया था, लेकिन उसके भाग्य में जीवन लिखा था, वह भी माता—पिता के दुलार के साथ। तो उसे आज माता—पिता भी मिल गए हैं और उसे नाम भी मिल गया है। इतना ही नहीं, वह मासूम ‘अंशुल’ अब UAE में पलेगी और बढ़ेगी।
बताया जा रहा है कि अलवर के बानसूर में दो साल पहले जिस नवजात को जन्म के बाद पानी के हौद में फेंक दिया गया था। उसे अबू धाबी के इंजीनियर दंपति ने गोद ले लिया है और वह उनके घर की लक्ष्मी बन गई है। मध्यप्रदेश के जबलपुर के रहने वाली NRI दंपति ने 2 साल की अंशुल को गोद ले लिया है। अंशुल को पाकर उसके नए माता—पिता काफी ज्यादा खुश हैं। उनका कहना है कि उन्होंने बेटी के लिए सपना देखा था, जिसे परमात्मा ने सुन ली। ‘अंशुल’ के तौर पर उनके मन की कामना पूरी हो गई।