नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority, NDMA) ने कोरोना से जान गंवाने वालों के परिजनों को 50 हजार के मुआवजे की शिफारिश की है। केंद्र सरकार ने सर्वोच्च अदालत को यह भी बताया कि राहत कार्यों में शामिल लोगों के परिजनों को भी यह अनुग्रह राशि दी जाएगी। यदि मृत्यु का कारण COVID-19 के रूप में प्रमाणित है तो मृतक के परिजनों को उक्त अनुग्रह राशि प्रदान की जाएगी।
सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि यह मुआवजा कोविड-19 राहत अभियान में शामिल उन लोगों के परिजनों को भी दिया जाएगा जिनकी मौत इस महामारी की वजह से हुई है। सरकार ने कहा कि यह अनुग्रह राशि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और आईसीएमआर द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार कोविड-19 से होने वाली मृत्यु प्रमाणित होने के बाद ही प्रदान की जाएगी। केंद्र ने बताया कि राज्यों द्वारा राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) की ओर से यह आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि तीन सितंबर को सर्वोच्च न्यायालय ने कोरोना महामारी के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए दिशानिर्देश तय करने में देरी पर नाखुशी जताई थी। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को पहली सितंबर तक हर हाल में अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने सख्त लहजे में कहा था कि हमने पहले ही काफी आदेश पारित कर चुके हैं। ऐसा लगता है कि जब तक आप दिशानिर्देश तैयार करेंगे तब तक तो महामारी का तीसरा चरण भी खत्म हो जाएगा।
इसके बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आइसीएमआर ने कोविड से होने वाली मृत्यु के मामलों में आधिकारिक दस्तावेज जारी करने के लिए दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं। इसमें उन मामलों को गिना जाएगा जिनमें कोरोना संक्रमण की पुष्टि आरटी-पीसीआर जांच, मालीक्यूलर जांच, रैपिड-एंटीजन या अन्य क्लीनिकल तरीके से हुई है। दिशानिर्देश के मुताबिक उन मामलों में जिनमें मरीज स्वस्थ नहीं हो पाया और उसकी मृत्यु अस्पताल में या घर पर हो गई तो भी उसे कोविड-19 से हुई मृत्यु माना जाएगा।