जशपुर। राजतंत्र भले ही अस्तित्व में नहीं है, लेकिन राजशाही परंपराएं आज भी देश के विभिन्न राज्यों में विद्यमान है। हाल ही में छत्तीसगढ़ के जशपुर राजघराने के युवराज कुंवर युद्धवीर सिंह जूदेव का गंभीर बीमारी की वजह से असामायिक निधन हो गया। आज उनकी अंतिम यात्रा विजय विहार पैलेस से निकलेगी, जिसमें शामिल होने बड़ी तादाद में लोग जशपुर में एकत्र हो चुके हैं।
पूरा जशपुर नगर अपने युवराज के आकस्मिक निधन पर शोक संतप्त है। इससे पहले जशपुर कुमार दिलीप सिंह जूदेव के निधन पर पूरा जशपुर नगर कई दिनों तक शोक में डूबा हुआ था। अब कुंवर युद्धवीर सिंह का इस तरह से छोटी उम्र में चला जाना, लोगों के गले नहीं उतर रहा है।
उनका उपचार बेंगलुरु के एक निजी अस्पताल में चल रहा था, जहां सोमवार तड़के 4 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली थी। कल दोपहर उनके पार्थिव शरीर को विशेष विमान से जशपुर लाया गया। जशपुर के हवाई पट्टी पर जैसे ही विमान उतरा, लोगों का हुजुम उनके अंतिम दर्शन के लिए टूट पड़ा।
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बेबाकी और जिंदादिली
कुंवर युद्धवीर सिंह पिता स्व. दिलीप सिंह जूदेव की तरह ही अपनी बात के पक्के थे। उनकी जुबान से एक बार जो बात निकल गई, तो फिर उसके लिए अपनी जान तक की परवाह नहीं किया करते थे। अपनी बेबाकी और जिंदादिली के लिए कुंवर युद्धवीर सिंह को जाना जाता था। इसके कई उदाहरण छत्तीसगढ़ में आज भी मौजूद हैं।
राजशाही ठाठ का जीवन
कुंवर युद्धवीर सिंह चंद्रपुर विधानसभा से दो बार के विधायक रहे। भाजपा नेता होने के साथ उन्हें ब्रेवरेज कार्पोरेशन के अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी दी गई थी। नेतागिरी अपनी जगह पर थी, पर सही मायने में युद्धवीर हमेशा से राजशाही की जिंदगी ही जीया करते थे।