बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में आर्थिक अनियमितता की एक और नई कहानी सामने आई है। यहां पर बिजली विभाग में ठेकेदारी का लायसेंस नियम विरुद्ध बांट दिया गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह सब जिम्मेदार अफसरों के नाक के नीचे हो रहा है, जिसे दबे—छिपे तरीके से चलाया जा रहा था।
पूरा मामला बिलासपुर CSPDCL नेहरु नगर का है। यहां पदस्थ कर्मचारी सचिन क्षत्रिय निर्माण विभाग में बतौर ऑपरेटर पदस्थ हैं। उसने अपने भाई सुनील क्षत्रिय के नाम पर विद्युत ठेकेदारी का लायसेंस हासिल कर लिया है और ठेकेदारी कर रहा है।
लायसेंस भाई के नाम, दफ्तर से खुद नदारद
इस पूरे मामले में जिस हकीकत का खुलासा हुआ है, वह यह कि CSPDCL नेहरु नगर में पदस्थ सचिन क्षत्रिय ने भले ही अपने सगे भाई सुनील के नाम पर लायसेंस हासिल किया है, लेकिन वह खुद दफ्तर से नदारद रहता है और उसकी जगह पर कोई और शासकीय कार्य करता मिलता है।
नियम के विरुद्ध है यह
यदि CSPDCL के नियमों की बात की जाए, तो विभाग में पदस्थ किसी भी कर्मचारी अथवा अधिकारी के रिश्तेदारों को ठेकेदारी का लायसेंस जारी नहीं किया जा सकता। लेकिन CSPDCL नेहरु नगर बिलासपुर में इन नियमों को ताक पर रखकर कर्मचारी के सगे भाई के नाम पर लायसेंस जारी किया गया है।
आंख मूंदे बैठे अफसर
CSPDCL में ठेकेदारी प्रथा लागू है, लेकिन किन्हें दिया जाना है, कौन लोग प्रतिबंधित हैं, इसकी पूरी जानकारी जिम्मेदार अफसरों को होती है, पर बिलासपुर में यह गोरखधंधा अफसरों के संज्ञान में होने के बाद भी जारी है और अफसर आंख मूंदकर बैठे हैं।
पहले भी होता रहा है
इस तरह का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी साल 2016 में इस तरह का मामला सामने आया है, तब पदस्थ कर्मचारी काशी राव गाड़े ने अपनी पत्नी रीना के नाम पर लायसेंस हासिल कर लिया था और ठेकेदारी खुद किया करता था। जिसके खुलासे के बाद उसका तबादला मरवाही कर दिया गया था। उसने दोबारा बिलासपुर वापसी कर ली है और फिर से ठेकेदारी में जुट गया है। जबकि वह अब भी शासकीय सेवा में पदस्थ है।