चुनाव… जी हां, यह एक ऐसा शब्द है, जिसका जन—जन, हर एक जन से नाता रिश्ता है। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसका किससे रिश्ता है, लेकिन इस बात से जरुर फर्क पड़ता है कि किस पार्टी ने किस जगह से, किस चेहरे पर दाव लगाया है और किसका उस जगह पर प्रभाव है।
तो अब वह दौर आ चुका है, जब पार्टी और उसके फेके गए पत्तों यानी चेहरों पर दाव लगना है। यह वह दौर है, जब देश के कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है। इसमें देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तरप्रदेश भी शामिल है। यहां पर भाजपा का शासन है और मुख्यमंत्री के तौर पर योगी आदित्यनाथ अपना कार्यकाल पूरा कर, एक बार फिर अपनी सशक्त दावेदारी को पेश करना चाहते हैं। लिहाजा काम में कसावट के साथ ही मतदाताओं को रिझाने की कोशिश में भी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते।
यही वजह है कि उत्तरप्रदेश में अब चुनावी दांव खेला जा रहा है, जिसके चलते 7 मंत्रियों को जहां वॉक आउट कर दिया गया है, तो अब सात नए चेहरों को कैबिनेट में जगह दी जा रही है। इस बदलाव में सियासी समीकरण का भी पूरा ख्याल रखा गया है, जिसके चलते 1 ब्राह्मण, 3 ओबीसी और 3 दलित चेहरे को कैबिनेट में शामिल किया गया है।