नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र नेता कन्हैया कुमार ने मंगलवार को नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी नेता राहुल गांधी की उपस्थिति में कांग्रेस में शामिल हो गए। इससे पहले कन्हैया और जिग्नेश मेवानी ने स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह की 114 वीं जयंती पर आज दिल्ली के आइटीओ स्थित शहीद-ए-आजम भगत सिंह पार्क में में राहुल गांधी से मुलाकात की। वहीं, अभी जिग्नेश मेवाणी ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण नहीं की है। इसको लेकर उन्होंने बताया कि मैं तकनीकी कारणों से औपचारिक रूप से कांग्रेस में शामिल नहीं हो सका। मैं एक निर्दलीय विधायक हूं, अगर मैं किसी पार्टी में शामिल होता हूं, तो मैं विधायक के रूप में नहीं रह सकता था। मैं वैचारिक रूप से कांग्रेस का हिस्सा हूं, आगामी गुजरात चुनाव कांग्रेस के चुनाव चिह्न से लड़ूंगा।
पार्टी में शामिल होने के बाद कन्हैया कुमार ने कहा कि कांग्रेस पार्टी एक बड़े जहाज की तरह है, अगर इसे बचाया जाता है, तो मेरा मानना है कि कई लोगों की आकांक्षाएं, महात्मा गांधी की एकता, भगत सिंह की हिम्मत और बीआर अंबेडकर के समानता के विचार की भी रक्षा की जाएगी। इसलिए कांग्रेस में शामिल हुआ हूं।
कन्हैया कुमार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य थे, जो पार्टी की एक शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था थी। जबकि मेवाणी गुजरात के वडगाम निर्वाचन क्षेत्र से एक स्वतंत्र विधायक और राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच (RDAM) के संयोजक हैं।
जेएनयू के पूर्व छात्र नेता ने 2019 के आम चुनाव में बिहार की बेगूसराय लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के खिलाफ भी चुनाव लड़ा था। तब से वो सीपीआइ में लो प्रोफाइल नेता के रूप में बने हुए थे।
दूसरी ओर मेवाणी ने 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में आरक्षित वडगाम विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी। कांग्रेस ने वडगाम निर्वाचन क्षेत्र में मेवाणी के खिलाफ अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था।
बता दें कि देश में लगातार जमीनी आधार खो रही कांग्रेस की इस समय सबसे बड़ी चिंता उसके पास बड़े जनाधार वाले नेताओं की किल्लत की है। ये दोनों नेता अपने भाषण और युवाजनों में लोकप्रियता के लिए जाने जाते हैं।
गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में जितिन प्रसाद और सुष्मिता देव ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। प्रसाद भाजपा में शामिल हो गए और अब उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री हैं, जबकि देव तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का हिस्सा बने और पश्चिम बंगाल से राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुने गए।