पूर्व सीएम रमन सिंह ने कांग्रेस सरकार पर हलफनामा को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे। जिसमे ये कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दिया गया उसे देखकर ऐसा लगता है कि सरकार सत्ता का दुरूपयोग कर रही है।
इन आरोपों के बाद कांग्रेस ने पलटवार किया है। मीडिया सेल के प्रभारी शैलेष नितिन त्रिवेदी और प्रवक्ता आरपी सिंह ने अलग-अलग वक्तव्य जारी करके पूर्व की बीजेपी सरकार और उसके मंत्रियों समेत रमन सिंह को निशाने पर लिया है।
शैलेष का रमन सिंह से सवाल
शैलेष नितिन ने रमन पर निशाना साधते हुए पूछा कि जब दोनों अधिकारियों की अभियोजन स्वीकृति 2016 में आ गई थी तो चालान के लिए 2018 का इंतजार क्यों?
विक्रम उसेंडी और धरमलाल कौशिक क्यों नहीं चाहते कि नान केस की जांच हो। दोनों जांच रूकवाने हाईकोर्ट क्योॉ गए?
भट्ट के 107 पन्ने कौन से हैं जिन्हे दबा दिया गया। क्योंकि उसमे सीएम मैडम के साथ-साथ सीएम सर का भी नाम है।
आरपी सिंह ने भी किया हमला
इधर आरपी सिंह ने कहा है कि ईडी केंद्र सरकार की एजेंसी है इसमें राज्य सरकार का कोई भी हस्तक्षेप नहीं है।
आरपी सिंह ने आलोक शुक्ला के नियुक्ति को भी नियम के तहत बताया वहीं अनिल टुटेजा के बारे में कहा कि वह संयुक्त सचिव है ना कि सचिव। साथ ही साथ जब तक न्यायालय में दोष सिद्ध नहीं होता तब तक हर किसी को निर्दोष माना जाता है।
हलफनामे के बारे में रमन सिंह पर हमला करते हुए आरपी सिंह ने कहा कि हलफनामा सील बंद है लेकिन डॉक्टर रमन सिंह को कैसे पता इसमें क्या लिखा है । रमन सिंह के आरोपों से ऐसा लग रहा है मानो कि बीजेपी के नेताओं ने ही हलफनामा बनवाया है।
दूसरी बात नान के प्रकरण में चालान पेश किया गया है मामला कोर्ट में है इसलिए इस प्रकरण में भी राज्य सरकार कार्यवाही नहीं कर सकती।
वही गवाहों के मसले पर आरपी सिंह ने कहा कि 151 गवाहों की गवाही जनवरी 2019 के पहले हो चुकी है और उसके बाद किसी की भी गवाही नहीं हुई।
आरपी सिंह ने रमन सिंह से पूछा कि पूर्व एसीबी चीफ मुकेश गुप्ता से उनकी क्या सहानुभूति है क्या मुकेश गुप्ता को रमन सिंह के सारे राज पता है इसलिए मुकेश गुप्ता के पक्ष में बोलना रमन सिंह की मजबूरी बन गई है।
आरपी सिंह के 10 सूत्रीय बिंदुओं के अंत में यह बताया गया है कि भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही संबंधित एजेंसियों ईसीबी या ईओडब्ल्यू अपने स्तर पर करती है । इस पर राज्य सरकार का दखल नहीं होता।