मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से आज यहां उनके निवास कार्यालय में कांकेर जिले के पखांजूर, अंतागढ़ कोयलीबेड़ा क्षेत्र से आए नागरिकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आम जनता की सुविधा के लिए पखांजूर, अंतागढ़ और कोयलीबेड़ा में विकास कार्यों के लिए पैसे की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। इन क्षेत्रों में प्राथमिकता से विकास कार्य कराए जाएंगे। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष चंदन कश्यप और विधायक अनूप नाग सहित बड़ी संख्या में क्षेत्र से आए आम नागरिक और आदिवासी समाज के प्रमुख उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि आदिवासी समुदाय को जल, जंगल और जमीन का अधिकार दिलाने सरकार प्रतिबद्ध है। वनांचल क्षेत्रों में वन अधिकार पट्टे सहित उन्हें वनोपज संग्रहण और इनके प्रसंस्करण से रोजगार दिलाने की पहल की जा रही है। उन्होंने नागरिकों की मांग के संबंध में कहा कि पखांजूर, अंतागढ़ और कोयलीबेड़ा क्षेत्र में धान खरीदी केन्द्र, उचित मूल्य दुकान, गोदाम, कालेज, बच्चों की पढ़ाई के लिए हास्टल सहित सभी मांगों को परीक्षण के बाद स्वीकृति की पहल की जाएगी। उन्होंने इन क्षेत्र में पुल-पुलियों और शिक्षकों की नियुक्ति डी.एम.एफ. मद से जल्द कराए जाने के लिए आश्वस्त किया। उन्होंने पखांजूर क्षेत्र में मक्का से एथनाल प्लांट लगाने के संबंध में कहा कि यदि इस क्षेत्र में उद्योगपति आगे आते हैं तो प्लांट लगाने की अनुमति दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर पखांजूर, कोयलीबेडा, अंतागढ़ और आमाबेड़ा में सर्व आदिवासी समाज के भवन के लिए 20-20 लाख रूपए की घोषणा की। इसी प्रकार पखांजूर में बंगाली समाज के लिए सामाजिक भवन और पखांजूर-कोयलीबेड़ा क्षेत्र के गढ़प्रतापपुर में माझी समाज के भवन के लिए 20-20 लाख रूपए की स्वीकृति दी। उन्होंने पखांजूर के बांदेगांव के श्री संतोष कीर्तनिया को उनके द्वारा लिखित साहित्य के प्रकाशन के लिए एक लाख रूपए की मंजूरी दी। मुलाकात के दौरान पखांजूर, अंतागढ़ और कोयलीबेड़ा क्षेत्र के लोगों ने आदिवासी समाज की संस्कृति के संरक्षण के लिए देवगुड़ी और घोटुल निर्माण की स्वीकृति के साथ ही वनाधिकार पट्टों की स्वीकृति के लिए मुख्यमंत्री का आभार जताया और उन्हें क्षेत्र में आने का न्योता दिया।