रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज बेमेतरा जिला मुख्यालय के बेसिक स्कूल ग्राउंड में आयोजित किसान सम्मेलन के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य के गौठानों में गोबर से बिजली उत्पादन की परियोजना का वर्चुअल शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्राम सुराज की परिकल्पना को साकार करते हुए गांवों को स्वावलंबी बनाने में जुटी है। अब छत्तीसगढ़ के गांव गोबर से विद्युत उत्पादन के मामले में स्वावलंबी होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक समय था जब विद्युत उत्पादन का काम सरकार और बड़े उद्योगपति किया करते थे। अब हमारे राज्य में गांव के ग्रामीण टेटकू, बैशाखू, सुखमती, सुकवारा भी बिजली बनाएंगे और बेचेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि गोबर खरीदी का मजाक उड़ाने वाले लोग अब इसकी महत्ता को देख लें। कार्यक्रम में गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे, संसदीय सचिव गुरूदयाल बंजारे, बेमेतरा के विधायक आशीष छाबड़ा सहित अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने बेमेतरा जिले के राखी गौठान, दुर्ग जिले के सिकोला तथा रायपुर जिले के बनचरौदा में गोबर से विद्युत उत्पादन के शुभारंभ अवसर पर वहां मौजूद स्व-सहायता समूह की महिलाओं एवं गौठान समितियों के सदस्यों से उनकी आयमूलक गतिविधियोें के बारे में चर्चा करते हुए उन्हें अब गोबर से विद्युत उत्पादन की यूनिट शुरू होने पर बधाई और शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि गोबर से वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन से जितना लाभ महिला समूहों को हो रहा है। बिजली उत्पादन शुरू होने से उन्हें दोगुना लाभ मिलने लगेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य के सभी गौठानों में गोबर की बिजली उत्पादन शुरू किया जाएगा। समूह की महिलाएं गोबर से बिजली बनाएंगी और बेचेंगी। उनकी बिजली सरकार खरीदेगी। गौठानों में स्थापित रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में विभिन्न प्रकार के उत्पादों को तैयार करने के लिए लगी मशीनें भी गोबर की बिजली से चलेंगी। गौठान अब बिजली के मामले में स्वावलंबी होंगे। है। गोबर से सस्ती बिजली उत्पादन होने के साथ-साथ जैविक खाद का भी उत्पादन होगा। इससे गौठान समितियों और महिला स्व-सहायता समूहों को दोहरा लाभ होगा। कार्यक्रम को गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे, संसदीय सचिव गुरूदयाल बंजारे, बेमेतरा के विधायक आशीष छाबड़ा ने भी सम्बोधित किया।
गौरतलब है कि सुराजी गांव योजना के तहत छत्तीसगढ़ राज्य के लगभग 6 हजार गांवों में गौठानों का निर्माण कराकर उन्हें रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित किया गया है, यहां गोधन न्याय योजना के तहत दो रूपए किलो में गोबर की खरीदी कर बड़े पैमाने पर जैविक खाद का उत्पादन एवं अन्य आयमूलक गतिविधियां समूह की महिलाओं द्वारा संचालित की जा रही है।
गौरतलब है कि गोबर से विद्युत उत्पादन की परियोजना के प्रथम चरण में बेमेतरा जिले के राखी, दुर्ग के सिकोला और रायपुर जिले के बनचरौदा में गोबर से विद्युत उत्पादन की यूनिट लगाई गई हैै। एक यूनिट से 85 क्यूबिक घन मीटर गैस बनेगी। चूंकि एक क्यूबिक घन मीटर से 1.8 किलोवाट विद्युत का उत्पादन होता है। इससे एक यूनिट में 153 किलोवाट विद्युत का उत्पादन होगा। इस प्रकार उक्त तीनों गौठानों में स्थापित बायो गैस जेनसेट इकाईयों से लगभग 460 किलोवाट विद्युत का उत्पादन होगा, जिससे गांवों, गौठानों में प्रकाश व्यवस्था के साथ-साथ वहां स्थापित मशीनों का संचालन हो सकेगा। गोबर से विद्युत उत्पादन की यूनिट से बिजली उत्पादन के बाद शेष स्लरी के पानी का उपयोग बाड़ी और चारागाह में सिंचाई के लिए होगा तथा बाकी अवशेष से जैविक खाद तैयार होगी। इस तरह से देखा जाए तो गोबर से पहले विद्युत उत्पादन और उसके बाद शत-प्रतिशत मात्रा में जैविक खाद प्राप्त होगी। इससे गौठान समितियों और महिला समूहों को दोहरा लाभ मिलेगा।
यहां यह उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना के तहत गांवों में 6112 गौठान पूर्ण रूप से निर्मित एवं संचालित है। गौठानों में अब तक 51 लाख क्विंटल से अधिक की गोबर खरीदी की जा चुकी है, जिसके एवज में ग्रामीणों, पशुपालकों को 102 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है। गोबर से गौठानों में अब तक 12 लाख क्विंटल से अधिक वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट खाद का उत्पादन एवं विक्रय किया जा चुका है। सुराजी गांव योजना के तहत निर्मित गौठान और गोधन न्याय योजना के कन्वर्जेंस से बहुआयामी लाभ मिलने लगा है। इससे गांवों में रोजगार के अवसर बढ़े है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संबल मिला है।