संवाददाता — किशोर कुमार साहू, बालोद
भारत में पर्यटन का जितना ज्यादा महत्व है, उससे कहीं अधिक आस्था भारतवंशियों को अपनी ओर आकर्षित करती है। और इन दोनों का जहां पर मेल हो जाए, तो फिर क्या कहना। छत्तीसगढ़ में अधिकांश पर्यटन स्थल आस्था के केंद्र के तौर पर ही मौजूद है। आज यहां पर हम आपको ऐसे ही एक पर्यटन स्थल और आस्था के केंद्र से परिचय करा रहे हैं, जिसका संगम छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाएगा।
https://www.youtube.com/watch?v=1dsD5HAcd5w
जिला बालोद, छत्तीसगढ़ में करीब 12 साल पहले ही अस्तित्व में आया है, लेकिन इसका इतिहास कई मायनों से काफी पुराना है। बालोद जिले के झलमला में ‘गंगा मैया’ की मौजूदगी अपने आप में एक बड़ा वरदान है। नवरात्रि के दोनों ही पक्षों में यहां पर प्रदेशभर से लोगों के आने का सिलसिला चलता रहता है। तो महज 15 किमी दूर सियादेवी का मंदिर है, जहां दर्शन के लिए लोग दूर—दूर से आते हैं। प्राकृतिक सौंदर्य के बीच ‘सियादेवी’ का यह मंदिर अपने आप में अनुपम छटा बिखेरती है।
https://www.youtube.com/watch?v=J1slF3D_dYA
अब बात करते हैं एक और आस्था और विश्वास के साथ पर्यटन केंद्र की, जहां पर ‘गंगा मैया’ का वास माना जाता है। जिले के ग्राम पंचायत सिंघोला में एक ऐसा कुंड है, जहां पर हमेशा 5 फीट जल भरा ही रहता है। इसे मालिपानी कुंड कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस कुंड के पानी से स्नान करने और इसका सेवन करने से कई तरह की शारीरिक बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है।
घने जंगल के बीच गांव
यह गांव जिले के बीहड़ में स्थित है। घने जंगलों के बीच इस गांव में स्थित कुंड को सालों पहले एक साधु ने खोजकर निकाला था। साधु राम बाबा ने यहां पर शिवलिंग की स्थापना की और वे पूजा अर्चना करते रहे। उसके बाद साधु बाबा कहीं चले गए, तो गांव की एक महिला ने उस धर्म का निर्वहन शुरू कर दिया।
https://www.youtube.com/watch?v=15–IsDElQk
बदलता है पानी का रंग
इस कुंड का पानी कभी दूधिया तो कभी श्यामल रंग का हो जाता है। यह इस कुंड की सबसे बड़ी विशेषता है। दूसरी खासियत यह है कि इस कुंड की रक्षा एक ‘नागराज’ पानी के भीतर ही रहकर करते हैं। आसपास भी कई खतरनाक और जहरीले जीव रहते हैं, लेकिन आज तक किसी भी श्रद्धालु को किसी ने कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है।