आज के बदलते परिवेश में लोगों की जीवनशैली में परिवर्तन के कारण लोगों को स्वास्थ्य संबंधित कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इन परेशानियों में से एक गंभीर परेशानी घुटनों में दर्द की है जिससे आज कई लोग जूझ रहे हैं। इस बीमारी से निजात पाने के लिए लोग चिकित्सा विशेषज्ञ से परामर्श लेते रहते हैं पर कई बार ऐसी स्थिति सामने आई है कि है लोग जो दवा खाते हैं उसका असर कुछ घंटों तक ही रहता है। ऐसा ही एक मामला है जिसमें घुटनों के जोड़ों में दर्द की समस्या से जूझ रहे राजस्थान के अलवर निवासी अजय शर्मा (42) को सीढ़ियां चढ़ने, बस में चढ़ने, नीचे बैठने तक में परेशानी होती थी।
Contents
आज के बदलते परिवेश में लोगों की जीवनशैली में परिवर्तन के कारण लोगों को स्वास्थ्य संबंधित कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इन परेशानियों में से एक गंभीर परेशानी घुटनों में दर्द की है जिससे आज कई लोग जूझ रहे हैं। इस बीमारी से निजात पाने के लिए लोग चिकित्सा विशेषज्ञ से परामर्श लेते रहते हैं पर कई बार ऐसी स्थिति सामने आई है कि है लोग जो दवा खाते हैं उसका असर कुछ घंटों तक ही रहता है। ऐसा ही एक मामला है जिसमें घुटनों के जोड़ों में दर्द की समस्या से जूझ रहे राजस्थान के अलवर निवासी अजय शर्मा (42) को सीढ़ियां चढ़ने, बस में चढ़ने, नीचे बैठने तक में परेशानी होती थी।शुरुआत में उन्होंने एक माह तक चिकित्सा विशेषज्ञ से ऐलोपेथिक दवाइयां ली। पर हर बार दवा लेने के दो-तीन घंटे बाद दवा का असर खत्म होने पर दर्द दोबारा शुरू हो जाता था। इस बीच वे एक स्वजन के माध्यम से खैरा डाबर स्थित चौ. ब्रह्म प्रकाश आयुर्वेदिक संस्थान पहुंचे, जहां विशेषज्ञों ने उनकी जांच के बाद उन्हें 10 ग्राम काले तिल और 10 ग्राम लाल सरसों के मिश्रण से तैयार लेप को दिन में दो बार लगाने के साथ में लाक्षा गुग्गुलु दवा का दिन में तीन बार गर्म पानी से सेवन करने का सुझाव दिया।45 दिन से लगातार अजय इलाज प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं और काफी खुश हैं, क्योंकि अब उन्हें घुटनों में दर्द की समस्या पहले से कम है और वे अब आसानी से सीढ़ियों पर चढ़ जाते हैं। अजय बताते हैं कि ऐलोपेथिक चिकित्सकों की दी गई दर्द निरोधक दवाओं के सेवन करने पर मन में डर था कि कहीं किडनी पर इनका दुष्प्रभाव न हो जाए, लेकिन आयुर्वेद में ऐसा कोई डर नहीं है। आमतौर पर आयुर्वेद में घुटने में दर्द की समस्या यानि आस्टियोअर्थराइटिस के लिए दशांग लेप और लाक्षा गुग्गुलु दवा का ही प्रयोग किया जाता है।