नई दिल्ली। मैदान पर खेले जाने वाले क्रिकेट और फुटबाल ही नहीं आनलाइन खेले जाने वाले काल्पनिक खेल (फैंटेसी गेम) का कारोबार देश में तेजी से पैर पसारता जा रहा है। यही वजह है कि सरकार अब इसके लिए राष्ट्रीय दिशा-निर्देश लाने की तैयारी कर रही है ताकि फैंटेसी गेम के कारोबार में छिपी बड़ी संभावना का दोहन किया जा सके। विशेषज्ञों के मुताबिक अभी भारत में आनलाइन फैंटेसी गेम के लिए साफ तौर पर कोई कानून नहीं है। जरूरत पड़ने पर इससे जुड़े मामले को वर्ष 1867 के दि पब्लिक गैंबलिंग एक्ट के तहत रखा जा सकता है।
जारी हुआ मसौदा
कुछ महीने पहले आनलाइन फैंटेसी गेम को लेकर एक राष्ट्रीय दिशा-निर्देश बनाने की पहल नीति आयोग की तरफ से की गई थी और इसे लेकर एक मसौदा जारी किया गया था। अब फिर से आनलाइन फैंटेसी गेम को लेकर राष्ट्रीय दिशा-निर्देश लाने की सुगबुगाहट तेज हो गई है।
उद्योग जगत यह है तर्क
सरकार को यह भी चिंता है कि अगर राज्य इस तरह के गेम को लेकर अलग-अलग कानून लाते हैं तो इससे जुड़े कारोबार का विकास प्रभावित हो सकता है। हाल ही में कर्नाटक ने आनलाइन गेम को जुआ की श्रेणी में रखते हुए इस पर रोक लगाने के लिए अपने पुलिस कानून में संशोधन करके उसे पारित भी कर दिया है। जबकि उद्योग जगत का कहना है कि आनलाइन गेम जुआ नहीं है बल्कि कौशल (स्किल) से जुड़ा गेम हैं।
भारत दुनिया में पांचवां सबसे बड़ा बाजार
फिक्की के गेमिंग कमेटी के संयोजक और आल इंडिया गेमिंग फेडरेशन के सीईओ रोलैंड लैंडर्स के मुताबिक भारत आनलाइन गेमिंग दुनिया में पांचवां सबसे बड़ा बाजार है। यह एक उभरता हुआ सेक्टर है, जिसका कारोबार वर्ष, 2025 तक तीन अरब डालर तक पहुंच सकता है। हाल ही में कर्नाटक सरकार द्वारा लिए गए फैसले से उसकी स्टार्टअप राजधानी की छवि को धक्का लगा है।
3000 करोड़ तक का मिल सकता है जीएसटी
केपीएमजी और प्राइसवाटरहाउसकूपर्स की रिपोर्ट के मुताबिक आनलाइन फैंटेसी गेम के कारोबार में अगले तीन से पांच साल में भारत में 10,000 करोड़ तक का विदेशी निवेश संभव है। इतना ही नहीं इस गेम के कारोबार से भारत को सालाना 3000 करोड़ तक का जीएसटी मिल सकता है। अगले तीन से पांच साल में आनलाइन फैंटेसी गेम के कारोबार में 5,000 प्रत्यक्ष और 7,000 अप्रत्यक्ष नौकरियों का सृजन हो सकता है।
212 प्रतिशत की दर से बढ़ी गेम खेलने वालों की संख्या
भारत में आनलाइन फैंटेसी गेम खेलने वालों की संख्या में पिछले तीन साल में 212 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है। वर्ष 2016 में इसे खेलने वालों की संख्या 20 लाख थी जो वर्ष 2019 में बढ़कर नौ करोड़ हो गई। कोरोना काल में आनलाइन फैंटेसी गेम के प्रति लोगों का जबरदस्त आकर्षण बढ़ा और यह संख्या 10 करोड़ के आंकड़े को पार कर चुकी है।
- 10 करोड़ से अधिक लोग खेलते हैं आनलाइन फैंटेसी गेम
- 10 हजार करोड़ तक के विदेशी निवेश की संभावना
- 212 प्रतिशत बढ़े गेम खेलने वाले
- 10 कंपनियां वर्ष 2016 में करती थीं कारोबार
- 140 कंपनियां फिलहाल इसमें हैं संलग्न
- 920 करोड़ रुपये था वर्ष वित्त वर्ष 2018-19 में कुल कारोबार
- 2470 करोड़ रुपये हो गया वित्त वर्ष 2019-20 में कुल कारोबार
- 2500 करोड़ रुपये से अधिक है वर्तमान में कुल कारोबार
आनलाइन गेमिंग के क्षेत्र में फैंटेसी स्पोर्ट्स सबसे आगे
वर्तमान में फैंटेसी स्पोर्ट्स आनलाइन गेमिंग के क्षेत्र में सबसे आगे है। स्मार्टफोन और इंटरनेट तक पहुंच रखने वाला कोई भी व्यक्ति एक फैंटेसी गेम का खिलाड़ी बन सकता है और बदले में पुरस्कार जीत सकता है। आमतौर पर प्रतिभागियों को नाममात्र का प्रवेश शुल्क का भुगतान करना होता है और वास्तविक खिलाडि़यों के साथ अपनी खुद की फैंटेसी टीम बनाने को कहा जाता है, जिन्हें मैच या लीग में खेलने के लिए तय किया जाना है।
क्रिकेट के पास फैंटेसी स्पोर्ट्स मार्केट का बड़ा हिस्सा
यदि प्रतिभागियों का आकलन ठीक रहता है तो वे पुरस्कार जीतते हैं। विजेता को अकाउंट ट्रांसफर या डिजिटल वालेट के माध्यम से पैसा मिलता है। क्रिकेट के पास भारत के फैंटेसी स्पोर्ट्स मार्केट का सबसे बड़ा हिस्सा है। कबड्डी और फुटबाल जैसे गैर क्रिकेट फैंटेसी स्पोर्ट्स भी ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। ड्रीम11 फैंटेसी गेम से जुड़ी कंपनी है।