ग्रैंड न्यूज़ डेस्क। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में सोमवार को 3 जिंदगियां सिस्टम की मार आगे हार मान गईं। प्रसव से तड़पती गर्भवती आदिवासी महिला की इलाज नहीं मिलने के कारण उसकी मौत हो गई। उसके साथ जन्म से पहले ही जुड़वा बच्चों ने भी दम तोड़ दिया। परिजन उसे लेकर भटकते रहे, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही रास्ते में सांसें थम गईं। यहां पहुंचने के रास्ते कच्चे और टूटे हुए हैं। ऐसे में एंबुलेंस भी नहीं आती। ऐसे में लोगों ने बाइक एंबुलेंस की मांग की है।
मिली जानकारी के अनुसार पायलीखंड निवासी नेमेन नागवंशी ने अपनी गर्भवती पत्नी सुमित्रा नागवंशी (21) को उसके मायके करलाझर छोड़ दिया था। सोमवार तड़के करीब 4 बजे सुमित्रा को प्रसव पीड़ा शुरू हुई। इस पर परिजन किराए पर बोलेरो लेकर सुबह करीब 6 बजे देवभोग के एक प्राइवेट अस्पताल पहुंचे। महिला की हालत गंभीर देख उसे राजिम अस्पताल रेफर कर दिया। परिजन सुबह 7 बजे राजिम के लिए निकले, लेकिन रास्ते में सुमित्रा की मौत हो गई।
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एंबुलेंस आती है तो 15 किमी दूर ही रुक जाती है
सुमित्रा के भाई डमरू सोरी ने कहा कि सड़क खराब होने के कारण कोई भी एंबुलेंस करलाझर साइबिन कछार तक नहीं आती है। अगर कोशिश करें या दबाव में आ भी जाती है तो 10 से 15 किमी दूर मेन रोड पर खड़ी हो जाती है और मरीज को वहां तक लाने के लिए कहा जाता है। इमरजेंसी में इसी तरह प्राइवेट वाहन का इस्तेमाल करते हैं। उसने कहा कि बस्तर की तर्ज पर यहां भी बाइक एंबुलेंस की व्यवस्था की जानी चाहिए।
महिला कार्यकर्ता नहीं, नदी में बाढ़ की भी आशंका
पति नेमेन नागवंशी पत्नी की मौत के बाद सदमे में है। उसने बताया कि पायलिखण्ड उदंति नदी के तट पर बसा है। बारिश और बाढ़ की संभावना को देखते हुए 9वां महीना लगते ही सितंबर के लास्ट में पत्नी को मायके छोड़ दिया था। यहां महिला कार्यकर्ता नहीं है। प्रसव कराने में पुरुष कार्यकर्ता हिचकते हैं। सोनोग्राफी में पता चला था कि जुड़वा संतान है। इसी रिस्क के चलते पत्नी को मायके भेजना उचित समझा था, पर किस्मत ही खराब थी।
प्रसिद्ध हीरा खदान स्थित पायलिखंड जांगड़ा पंचायत में आता है। कमार भुंजिया बाहुल्य जांगड़ा पंचायत में उपस्वास्थ्य केंद्र की घोषणा की गई है। करीब ढाई साल पहले नए भवन निर्माण की मंजूरी भी दे दी गई थी। आरोप है कि CGMC के ठेकेदारों ने अभी तक भवन नहीं बनाया। यहां अनूप पैकरा नाम के स्वास्थ्य कार्यकर्ता की पोस्टिंग है। 7 अगस्त को महिला कार्यकर्ता मंजू वर्मा की पोस्टिंग भी हुई थी। उन्होंने 20 सितंबर को जॉइन भी कर लिया था, लेकिन कभी मौजूद नहीं रहती हैं।
CMHO बोले- सरकारी अस्पताल लाना चाहिए था
CMHO एनआर नवरत्न ने कहा कि एंबुलेंस में 102,108 की सुविधा है। स्थानीय स्तर पर मौजूद कार्यकर्ताओं द्वारा प्रावधान के तहत टीक और विटामिन भी दे रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रसव पीड़ा पर परिजनों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या कार्यकर्ता से सीधे संपर्क करना था। सरकारी अस्पताल आना था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। किन हालात में मौत हुई है इसकी जांच के लिए BMO को कहा गया है। बाइक एंबुलेंस की की मांग जायज है। इसे शासन स्तर पर अवगत कराया जाएगा।