गरियाबंद में सुहागिन महिलाओं ने रविवार को करवाचौथ पर्व धूमधाम से मनाया। पति की लंबी आयु के लिए महिलाओं ने दिनभर निर्जल व्रत किया। रात को 8.44 बजे चंद्रमा का पूजन कर अर्घ्य देकर व्रत खोला। शहर में सुबह से ही करवाचौथ व्रत की रौनक रही। हाथों में मेंहदी सजाए महिलाएं बाजार में खरीदारी करने पहुंचीं। सास को बायना भी दिया।
गरियाबंद: अपने पति की लंबी आयु की कामना और परिवार की सुख समृद्धि के लिए किया जाने वाले करवा चौथ व्रत का इंतजार हर वर्ष महिलाओं को बेसब्री से रहता है। बदलते जमाने के साथ करवा चौथ मनाने के तरीकों में बदलाव तो आया है लेकिन लोगों की आस्था आज भी उतनी ही है। रविवार को गरियाबंद शहर के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं ने इस पर्व को धूमधाम से मनाया।
संतोषी मंदिर पुराना मंगल बाज़ार सिविल लाइन शिशुमंदिर जैसे विभिन्न इलाकों में यह पर्व पूरे उल्लास के साथ मनाया गया। इस दौरान कई महिलाओं ने समूह में एकत्रित होकर पार्को में पूजा अर्चना की। पार्को में काफी चहल-पहल देखी गई। वहीं कई इलाकों में महिलाओं ने देवी मंदिर में पूजा अर्चना कर सभी की मंगलकामना की। महिलाओं ने व्रत से संबंधित कथा सुनकर अपने बड़े बुजुर्ग का आशीर्वाद लिया। साथ ही उन्हें उपहार भी दिए गए। व्रत के बाद महिलाओं ने देर रात चांद के दर्शन किए और अपने पति के हाथों जल पीकर व्रत तोड़ा।
शिशुमंदिर वार्ड नम्बर 15 निवासी वर्षा तिवारी ने बताया कि पिछले 10 वर्षो से करवा चौथ मनाती आ रही हैं। शुरुआत से लेकर आज तक इस पर्व को लेकर उत्साह एक जैसा बना हुआ है। सिविल लाइन के स्कूल में शिक्षिका के रूप में कार्य कर रहीं शम्मी कुकरेजा कहती हैं कामकाजी महिलाओं के लिए करवा चौथ मनाना थोड़ा मुश्किल जरूर है, लेकिन करवा चौथ का व्रत लेने के लिए वह छुटटी लेती हैं। गृहणी भारती सिन्हा ने कहा यह पर्व पति पत्नी के बीच स्नेह, विश्वास, त्याग और समर्पण का पर्व है। सभी सुहागनी महिलायें परंपरागत रूप से पर्व मनाने की तैयारियां करती हैं। और प्रतिवर्ष निर्जला व्रत रख भारतीय संस्कृति के इस पर्व को उत्साह के साथ मनया जाता है ।
वहीं साधना सेन का कहना है कि समय बदलने के साथ काफी बदलाव आ गया है। बच्चों की आनलाइन पढ़ाई से ले कर व्यस्त दिनचर्या होने के बावजूद करवा चौथ के दिन पूरा परिवार कथा सुनने और पूजा करने के लिए एक साथ एकत्रित हो कर पर्व मनाते है
बुजुर्ग महिला श्यामकली तिवारी ने अपने अनुभव को साझा करते हुए बतलाया आख़िर क्यों किया जाता है करवा चौथ का व्रत
पौराणिक काल से यह मान्यता चली आ रही है कि पतिव्रता सती सावित्री के पति सत्यवान को लेने जब यमराज धरती पर आए तो सत्यवान की पत्नी ने यमराज से अपने पति के प्राण वापस मांगने की प्रार्थना की। उसने यमराज से कहा कि वह उसके सुहाग को वापस लौटा दें। मगर यमराज ने उसकी बात नहीं मानी। इस पर सावित्री अन्न जल त्यागकर अपने पति के मृत शरीर के पास बैठकर विलाप करने लगी। काफी समयि तक सावित्री के हठ को देखकर यमराज को उस पर दया आ गई। यमराज ने उससे वर मांगने को कहा।
इस पर सावित्री ने कई बच्चों की मां बनने का वर मांग लिया। सावित्री पतिव्रता नारी था और अपने पति के अलावा किसी के बारे में सोच भी नहीं सकती थी तो यमराज को भी उसके आगे झुकना पड़ा और सत्यवान को जीवित कर दिया। तभी से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए महिलाएं सावित्री का अनुसरण करते हुए निर्जला व्रत करती हैं।