कहा जाता है कि इंसान यदि ठान ले, उसका इरादा मजबूत हो और लगन पक्की हो, तो सफलता हर कीमत पर मिलनी तय है। ईमानदारी से की गई कोशिश को ईश्वर भी पूरा कराने में कोई कसर नहीं छोड़ते। इस बात का मिसाल बन गई है एक घरेलू महिला, जिन पर पति के साथ दो बच्चों की पढ़ाई, परवरिश और उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति की जिम्मेदारी थी। यह महिला, जिनका नाम रश्मि कुमारी है, बिहार की राजधानी पटना से ताल्लुक रखती हैं।
रश्मि ने यूपीएससी की तैयारी भी करनी चाही, लेकिन तब बच्चों की परवरिश और उनकी पढ़ाई की वजह से उन्हें अपनी चाहत को थामना पड़ गया। बच्चे बड़े होते गए, तो उनकी भी उम्र बढ़ती चली गई। आज रश्मि कुमारी 40 साल की हैं, लेकिन उनका हौसला कभी नहीं लड़खड़ाया। उनका बड़ा बेटा 12 वीं में तो छोटा 9वीं का छात्र है।
बच्चों के बड़े होते और उनको पढ़ाते हुए फिर रश्मि के दिमाग में जोर पड़ा और उन्होंने सरकारी नौकरी में आने का ठान लिया। लॉक डाउन में संघर्ष का दौर शुरु हुआ, घरेलू काम करते हुए इंटरनेट पर सुनकर पढ़ाई, बच्चों को पढ़ाते हुए अपनी तैयारी ने आखिरकार रंग लाया और आज घरेलू महिला रश्मि, बिहार राज्य में डीएसपी रश्मि बन गई है।
रश्मि कुमारी ने सामान्य वर्ग से बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा पास की और डीएसपी चुनी गईं। कमाल की बात यह है कि उनके बड़े बेटे का सलेक्शन जेईई मेन्स में हो गया है। इससे भी बड़ी बात यह है कि दोनों मॉं—बेटे ने किसी भी कोचिंग का सहारा नहीं लिया, बल्कि खुद से पढ़ाई की, खुद की तैयारी के दम पर इस मुकाम को हासिल किया है।