रायपुर। आमतौर पर करवाचौथ का व्रत सुहागिनें अपने पति की दीर्घायु होने की कामना के लिए करती हैं। इस व्रत का पालन बेहद कठिन है। छत्तीसगढ़ में ‘तीज व्रत’ को ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन राजधानी रायपुर उन महानगरों में शामिल है, जहां पर सर्वधर्म संप्रदाय के लोग निवास करते हैं। ऐसे में हर तरह के तीज और त्यौहारों का प्रचलन यहां पर देखा जाता है। इनमें ‘करवा चौथ’ भी है।
बेटी करती है पिता के लिए ‘करवाचौथ’ व्रत
वर्तमान समय में ‘तीज व्रत’ के अलावा ‘करवा चौथ’ को भी उसी तर्ज पर मनाया जाता है। सुहागिनें दिनभर निर्जला व्रत करती हैं और फिर शाम को चांद का दर्शन कर, पति का चेहरा छलनी से निहारने के बाद, पति के हाथों ही जल ग्रहण कर अपने दिनभर के व्रत को फलाहार के जरिए तोड़ती हैं।
यहां पर हम आपको एक ऐसी बेटी के बारे में बता रहे हैं, जो महज 11 साल की है। वह जब 7 साल की थी, तब से अपने पिता के लिए हर साल ‘करवा चौथ’ का व्रत कर रही है। राजधानी रायपुर के पुरानी बस्ती में मां राजराजेश्वरी महामाया मंदिर के निकट निवासरत इस बेटी का नाम ‘आरभी झा’ है। आरभी के पिता ‘अमरेश झा’ शासकीय सेवक हैं, तो मां भावना झा वर्किंग वूमन है।
आरभी की माता भावना झा ने बताया कि वह हर साल उन्हें ‘करवा चौथ’ के दिन दिनभर व्रत करते और फिर शाम को चांद के दर्शन के बाद पति का पूजा करते हुए देखती थी। ऐसे में उसके मन में सवाल उठा कि आखिर क्यों किया जाता है? तो मां भावना ने आरभी को बताया कि इस व्रत के करने से उसके पिता दीर्घायु होंगे। बस उसके बाद से आरभी ने भी अपने पिता की लंबी आयु के लिए ‘करवा चौथ’ का व्रत करना शुरु कर दिया।