रायपुर। राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा कि इस राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के आयोजन से ऐसा लग रहा है मानो छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में ‘लघु भारत’ उतर आया है। यह महोत्सव, विभिन्न परंपराओं और संस्कृतियों का संगम है। उन्होंने इस आयोजन के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी और उनकी पूरी टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि पूरे देश ही नहीं विदेशों में भी शायद ही ऐसा आयोजन हुआ हो। राज्यपाल का मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रतीक चिन्ह देकर सम्मान किया।
राज्यपाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ सहित देश में आदिवासियों की संस्कृति बहुत समृद्ध रही है। आदिवासी, समृद्ध संस्कृति के वाहक होने के साथ ही प्रकृति के पूजक भी रहे हैं। उनकी जीवनशैली और प्रकृति के बीच एक गहरा सामंजस्य है। आदिवासी न्यूनतम आवश्यकताओं पर जीने वाले होते हैं। वास्तव में यह आदिवासियों की जीवनशैली का मूलमंत्र है। वे प्रकृति से उतना ही लेते हैं, जितनी उन्हें आवश्यकता होती है, क्योंकि वे धरती को अपनी माता मानते हैं। तथाकथित आधुनिक समाज को कई मायनों में उनसे बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। आज विश्व, जलवायु परिवर्तन के कारण अनेकों समस्याओं का सामना कर रहा है, इसे हल करने का उपाय प्रकृति से प्रेम करने में और उसका आदर करने में छिपा हुआ है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य शासन मिलकर आदिवासी हितों की रक्षा के साथ शिक्षा, आर्थिक कल्याण और सामुदायिक उत्थान को बढ़ावा देने के लिए अनेकों कार्यक्रम संचालित कर रहे हैं। मेरा यह मानना है कि केवल सरकारी योजनाओं से आदिवासियों का सशक्तिकरण संभव नहीं है। इसके लिए आदिवासियों के बीच उनके अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करना और कल्याण योजनाओं को जमीन पर उतारना जरूरी है, तभी आदिवासियों को इन योजनाओं का लाभ मिल पाएगा और वे वास्तविक रूप से सशक्त हो पाएंगे। इस दिशा में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा महती प्रयास किया जा रहा है।
राज्यपाल ने कहा कि नृत्य-संगीत, भारतीय जनजातियों की संस्कृति का अभिन्न अंग है। यह प्रकृति और संस्कृति के बीच एक सेतु का कार्य करता है। अपने पसंद का नृत्य एवं गीत देखकर सुनकर थका हुआ व्यक्ति भी आनंदित होकर पुनः तरोताजा अनुभव करने लगता है। इसलिए जीवन में नृत्य एवं गीत का महत्वपूर्ण स्थान है। अत्यन्त प्राचीन काल से चली आ रही वैज्ञानिक जीवन पद्धति आज भी मूल रूप से आदिवासियों में विद्यमान हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि दीपावली त्योहार कुछ दिन बाद आने वाले हैं मगर त्योहार की शुरूआत अभी से हो गई है। इस कार्यक्रम में अन्य प्रदेशों एवं विदेश से भी मेहमान आये हैं। यदि त्योहार के समय मेहमान आएं तो खुशी दुगुनी हो जाती है। इस महोत्सव से प्रदेश में अद्भुत उल्लास का वातावरण निर्मित हुआ है। छत्तीसगढ़ अकेला ऐसा प्रदेश है जिसने ऐसे कार्यक्रम का आयोजन किया है। इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के विकास की छवि दिखाई दे रही है। पिछले आयोजन में सांसद राहुल गांधी शामिल हुए थे। उन्होंने लोक नर्तकों के साथ नृत्य भी किया था, यहां तक राज्यपाल महोदया भी लोक नर्तकों के साथ शामिल होने में अपने आप को नहीं रोक पाई थी। बघेल ने कहा कि महोत्सव में विभिन्न प्रदेशों के लोकनृत्य को देखकर ऐसा महसूस हुआ कि सभी प्रदेशों की परंपराएं, रीति-रिवाजों मे कितनी समानताएं हैं। राज्यपाल उइके के मार्गदर्शन में मेरे मंत्री मंडल तथा अधिकारियों एवं कर्मचारियों के सहयोग से छत्तीसगढ़ में विकास का वातावरण निर्मित हुआ है।
इस अवसर पर मंत्रिमण्डल के मंत्रीगण, निगम, आयोग मण्डल के अध्यक्षगण एवं पदाधिकारीगण, प्रशासनिक अधिकारी एवं बड़ी संख्या में नागरिकगण उपस्थित थे। कार्यक्रम में अतिथियों के समक्ष मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा से आए लोक नर्तक दल, उजबेकिस्तान, स्वाजीलैंड के नर्तकदल ने शानदार प्रस्तुति दी। हिमाचल प्रदेश के लोक नर्तकों ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री का पारंपरिक हिमाचली टोपी और शाल देकर सम्मान किया।