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रायपुर। छत्तीसगढ़ में स्नातक से स्नातकोत्तर की शिक्षा देने वाले, एम.फिल, पीएचडी के अलावा नेट और सेट की परीक्षाओं में पारंगत सैकड़ों युवा आज महज 800 रुपए प्रतिदिन की दिहाड़ी पर उच्च स्तर की शिक्षा देने के लिए मजबूर हैं। प्रदेश में शिक्षाकर्मियों की भी पगार इन अतिथि व्याख्याताओं से कहीं ज्यादा है।
हैरान करने वाली बात यह है कि इन अतिथि शिक्षकों को प्रतिदिन 800 रुपए ही दिए जाने की बाध्यता है, तो महीने में 20800 रुपए से ज्यादा सैलरी का भुगतान भी नहीं किया जा सकता। वहीं यदि किसी कारण से ये जिस दिन कक्षाएं नहीं ले पाए, या फिर कोई अवकाश हो गया, तो जितने दिन तक महाविद्यालय बंद रहेगा, उसका पगार भी इनसे छिन जाता है।
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इन तमाम विषयों को लेकर प्रदेश में अतिथि व्याख्याताओं ने छत्तीसगढ़ सरकार के समक्ष अपना दर्द बयां किया है। इनकी मांग की कोई लंबी फेहरिस्त भी नहीं है, बल्कि महज तीन मांगों को लेकर इनका प्रदर्शन जारी है, ताकि प्रदेश की सरकार की रहमत इनपर भी बरस जाए।
अतिथि व्याख्याताओं ने जिन तीन मांगों को सामने रखा है, उसमें सबसे पहले 11 माह की पूर्णकालिक अवधि की मांग रखी गई है। दूसरा यह कि उन्हें सम्मानजनक एक मुश्त मासिक वेतनमान दिया जाए, ना कि दिहाड़ी पर रखा जाए। वहीं तीसरा यह है कि उन्हें स्थानांतरण से सुरक्षा प्रदान की जाए।