शरीर बेहद जटिल प्रक्रियाओं के तहत बना हुआ है लेकिन क्या कभी सोचा है कि ऐसा क्या होता है कि हमारा शरीर मृत मान लिया जाता है. स्कूल से ही हमने कई विज्ञान की किताबों में कोशिकाओं और उनकी प्रोसेस के बारे में पढ़ा है कि कैसे ये कोशिकाएं मिलकर हमें जीवन देती हैं. आइए पहले इस बात को समझते हैं कि शरीर जीवित कैसे रहता है ?
शरीर कैसे जिंदा रहता है?
इंसानी शरीर बायोलॉजिकल प्रोसेस के चलते काम करता है. इसके लिए कोशिका की संरचना और कार्यप्रणाली समझना जरूरी है. दरअसल सभी कोशिकाओं के भीतर केमिकल रिएक्शन लगातार चलते रहते हैं, इन केमिकल रिएक्शन में एटीपी नामक ऊर्जा मदद करती है. ये एटीपी हमारे शरीर से ली गई ऑक्सीजन और ग्लूकोज की आपसी क्रिया से बनती है. अब शरीर में मौजूद कोशिकाएं, इस एटीपी की एनर्जी का उपयोग ग्रोथ, रिपेयरिंग और रिप्रोडक्शन सभी कामों में करती हैं. ऐसा कहते हैं कि जरूरी मॉलिक्यूल के निर्माण से ज्यादा ऊर्जा, इन मॉलिक्यूल को सही जगह तक ले जाने में खर्च हो जाती है.
यूनिवर्सल फेनोमिना ऑफ एंट्रॉपी एक प्रोसेस है, जिसका मतलब है कि मॉलिक्यूल स्वयं ही हाई कंसेंट्रेशन एरिया से लो कंसंट्रेशन एरिया की तरफ जाने लगते हैं और नष्ट होना शुरू हो जाते हैं. इसलिए कोशिकाओं के लिए बहुत जरूरी होता है की वो एटीपी के जरिए मिली एनर्जी का उपयोग करके एंट्रॉपी को मैंटेन करें. इससे अंदर के मॉलिक्यूल अपनी जटिल संरचना में बने रहें. इसी वजह से बायोलॉजिकल प्रोसेस सही तरह से हो पाती है.
लेकिन जब कोशिकाएं एंट्रॉपी से हार जाती हैं और उन्हें मैंटेन नहीं कर पातीं तो बायोलॉजिकल प्रोसेस फेल हो जाती है. उसका नतीजा होता है शरीर की मौत. यही कारण है की मृत शरीर को वापिस जीवित नहीं किया जा सकता क्योंकि जरूरी कोशिकाएं मर चुकी हैं और जटिल संरचनाएं खत्म हो चुकी हैं.
अभी तक मौजूद सभी मेडिकल खोज, मौत को कुछ देर तक रोक सकते हैं, लेकिन रिवर्स नहीं कर सकते. बीमारी का समय रहते इलाज करना इसलिए जरूरी कहा जाता है, ताकि प्रोसेस में सुधार किया जा सके. पुराने दौर में कोमा की स्थिति को मृत माना जाता था पर मेडिकल साइंस ने प्रूफ किया की वह ट्रीट किया जा सकता है, व्यक्ति उसके बाद भी दोबारा जीवित हो सकता है.
क्या कोई मरा हुआ व्यक्ति जिंदा हो सकता है?
अब सवाल आता है कि क्या ऐसा संभव है की मृत घोषित हो चुका व्यक्ति वापिस जीवित हो सके? अब तक ऐसी खोज सफल नहीं हुई है. लेकिन विज्ञान नई खोज प्रकृति से प्रेरणा लेकर ही करता है, जैसे की प्रकृति के कुछ जीवों में अपनी जीवन काल को बढ़ाने का गुण पाया जाता है. जहां वो बेहद ठंड में फ्रीज होकर खुद की बायोलॉजिकल प्रोसेस को धीमा कर लेते हैं. मेडिकल साइंस भी इस तरह के अविष्कार में जुटा है. जहां बीमार व्यक्ति के शरीर को कुछ इस तरह फ्रीज कर जिंदा रखा जा सके. इससे की नए इन्वेंशन होने के बाद उस बीमारी का तोड़ निकलते ही व्यक्ति का इलाज कर जिंदगी वापिस दी जा सके. और क्या ये संभव है ? जवाब है हाँ! दरअसल इसके पीछे विज्ञान है, जो की सुनने में किसी चमत्कार से कम नहीं है।